एक पन्ना डायरी का..
#KAVYOTASAV -2
एक पन्ना डायरी का
हर शाम तक राह तकता है ,
हर आहट पर...
अधूरा किस्सा पूरा होने की आस करता है ,
लिखी हुई पंक्तियों को पढ़कर...
खुद ही नई कहानी गढ़ा करता है ,
कभी स्याही से तो...
कभी सूखे गुलाब से विनती करता है ,
काश !
हो एक रोज पूरा अधूरा किस्सा...
हर घड़ी यही आह भरता है ,
एक पन्ना डायरी का...
अपने बहते आंसुओं को
खुद ही पोंछ लिया करता है ,
रो पड़ती है कलम की स्याही भी
जब पन्ना खामोश सा सिसका करता है ।।
© नेहा भारद्वाज