#काव्योत्सव , आध्यात्म
तेरा शुक्रिया ........तेरा शुक्रिया .......
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तेरा शुक्रिया, तेरा शुक्रिया,ए परमपिता तेरा शुक्रिया।
इंसां बनाया, पात्रता दी, जीवन सुखद बना दिया ।।
तेरा शुक्रिया...तेरा शुक्रिया ..।
जो ना होती मुझ पे कृपा तेरी,
कैसी होती अजब दशा मेरी ,
बुद्धिदान दे मुझ मूढ़मति की, ज़िन्दगीको सज़ा दिया।
तेरा शुक्रिया...तेरा शुक्रिया ..।
तेरे रहम-ओ -करम से सांस है ,
खुशियां है , बेहतर आस है,
नीरसथा मैं,दे ज़िंदादिली,मुझे जीना तूने सिखा दिया।
तेरा शुक्रिया...तेरा शुक्रिया ..।
जब -जब मेरा अंतर हिला,
हर उलझनों में मुझे तू मिला ।
मुझको बचाने तमस से, हर कतरे को रौशन किया ।।
तेरा शुक्रिया...तेरा शुक्रिया ..।
तूने इस कदर उपकृत किया,
फिर क्यों ना मैं खामोश हूँ,
हर ख्वाहिशों को दी दिशा,हर ख़्वाब को पूरा किया।।
तेरा शुक्रिया...तेरा शुक्रिया ..।