#kavyotsav2
एक बार गिरुगा सो बार उंंठुगा
दुनिया ना जुका पाये वो पर्वत बनुगा
कांंटो के रास्ते पे इंट बनके चलुगा
जो नदी को भी रोक दे वो बांध बनुगा
फुलो की महेक मे ना आऐ ऐसा भवरा बनुगा
जब उंंठुगा आसमान मे फिर भी धरती ना छोदुुंंगा
मै उस पतंग सा बनुगा भो कटेे फिरभी जमीन पेे आऐ
मै वो हवाा बनुगा जो कोने कोने मे समा जाए
बस आज वो वक्त का इंतजार है
जब मै एक बार गिरुगा
जब एक बार गिरुगा
मे सो बार उंंठुगा
लेखक - यश ठाकोर