Listen to इश्क़ का इतवार by himanshu mecwan #np on #SoundCloud
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तेरे इनकार का लहजा भी क्या कमाल है?
जवाब दे दिया तूने, और सवाल बरक़रार हैं
किसी ने पूछा इश्क़ का मौसम कैसा है ?
औस आंसू समजलो और पत्ज़ड प्यार है
तू गर तीर है तो तरकश मुकाम नहीं तेरा
आ और वार कर दिल छल्ली होने तैयार है
किताबी बातें मरे समज के परे ही है जानो
इश्क़ समज न सको तुम तो पढाई बेकार है
यहाँ कोई चुनावी मसला हो ही नहीं सकता
दिल है हमारा, ताउम्र आपकी ही सरकार हैं
तिरछी निगाहों से तुम देखना छोड़ते क्यूँ नहीं
मसला फ़िर वही, की तुम्हे भी हमसे प्यार है
मैं तुजे याद करू तेरी ही सहूलियत की तरह
तुम रोज़ कहती हो की आज इश्क़ में इतवार है
हिमांशु