रुठना
रुठे एसे कि, जैसे पहचान नहीं |
मिले एसे कि जैसे अंजान नहीं ||
जा तो एसे रहे कि लोटेंगे नहीं |
मिले एसे कि जैसे अजनबी नहीं ||
संभाले किस तरह दिल को संभाले संभलता नहीं |
मनाये किस तरह उनको मनाने की आदत नहीं ||
कौन आयेगा यहाँ, कीसी का इंतजार नहीं |
मजबुर है दिल से, वरना इतने नादान नहीं ||