चल चलें फिर घर को वापस.......
थक गए हैं पैर चल के, छिल गया है दिल भी जल के !
सख्त है यह शहर कितना, मीठी बोली जहर उतना !1!
चल चलें फिर घर को वापस......
अपनों से अपनी वो बातें, रोशन दिये से सारी रातें !
शहर के चुभते उजाले, चेहरे गोरे दिल है काले !2!
चल चलें फिर घर को वापस.......
मिट्टी के घर मिट्टी के आंगन, मट-मैले कपड़े मस्त सावन !
कांच के घर लोग पत्थर, शहर कितना लगता बंजर !3!
चल चलें फिर घर को वापस.......
गांव अपना शान अपनी, जहां बस्ती जान अपनी !
शहर आकर समझ आया, कितना खोया और क्या पाया !4!
चल चलें फिर घर को वापस...चल चलें फिर घर को वापस !?!
✍️ अभिषेक त्रिपाठी !!