सोचा था दुश्मन ने डर के बैठेगैं हम,
पीठ पे खंजर चुपचाप सहेंगें हम,
होगी मनमानी और कुछ ना कहेंगें हम,
मालूम क्या उन्हे समंदर से गहरे हम,
जुके आसमान भी उतने ऊंचे हम,
अपनों के लिए मरने को तैयार हम,
दुश्मन के लिए तबाही का सैलाब हम,
जान दे देते हैं वतन की शान मैं हम,
जान ले भी सकते हैं वतन के मान में हम!..
##Hats off for Indian Arm Forces....##
hv a proud for such an excellent??revenge...????