Quotes by Aachaarya Deepak Sikka in Bitesapp read free

Aachaarya Deepak Sikka

Aachaarya Deepak Sikka Matrubharti Verified

@drdeepaksikkagmailco
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*AUM NAMAH SHIVAY*

*DIRECTIONS FOR WASHING MACHINE/ ATTA CHAKKI/ MATHANI/ MIXI*

*North:-* Bad Direction. Opportunities Reduced. Unsatisfied

*NNE:-* Not Good. Diseases and Uncomfort Occurs. May Lead to Cancer.

*NE:-* Not Good. Tensions Increased. Confused Mind. Person Will Not Take the Right Decisions.

*ENE:-* Life Becomes Boredom. Leads to Sorrow and Person Will Not Be Happy At All.

*East:-* Social Relations Affected Very Badly. Society and Social Relations Reduced.

*ESE:-* Excellent Direction. It's A Direction of Churning. So It's A Best Direction.

*SE:-* Person May Fear About Money. Money Expenditure Increased. Person May Spend His/Her Money on Outsiders Opposite Gender.

*SSE:-* Wastage of Time in the Body Building All the Day. Person Always Try to Show off His/Her Power and Physique.

*South:-* Name Fame Reduced. Insomnia May Occur. Mental Tensions Increased.

*SSW:-* Lead To Wrong Decisions. Lever Problems. Females May Affected With Genital Problems.

*SW:-* Relationship Issues. Married Life Disturbed. Intimacy Issues. Love Life Not Good.

*WSW:-* Obstacles in Study. Kids May Always Think About Cheating in Exams.

*West:-* Unsatisfied. Savings Get Reduced. Life will Become Struggling and Full of Issues.

*WNW:-* It's A very Good Direction.

*NNW:-* Extra Marital Affairs May Occur. Person May Attract Towards Outsiders Opposite Gender.

*NW:-* Person May Take Money From Near and Dear and Also From Friends. Person May Check Everyone's Loyalty and Does Not Show Faith Easily Towards Anyone.

*So The Best Direction is Either ESE OR WNW*

*Aachaarya Deepak Sikka*
*Founder Graha Chaal Consultancy*

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ॐ नमः शिवाय

एकादशेश सप्तम भावस्थ

एकादशेश यदि सप्तम भाव में हुआ तो लाभ ही लाभ।

पत्नी से लाभ
मित्रों से लाभ
चाचा से लाभ
बड़े भाई बहनों से लाभ
साझेदारी से लाभ

ये लाभ वो लाभ हर प्रकार के लाभ।

पर रुको ज़रा सब्र करो कितना लाभ कमाओगे।

कुछ नुकसान भी तो झेलने पड़ेंगे।

अगर गुरु हुआ तो जीवनसाथी हरि बोल हरि बोल की माला जपे भक्ति में लीन। मतलब आपकी छुट्टी। अपने आप को सर्वज्ञानी और आप एक तुच्छ प्राणी।

अगर शुक्र हुआ तो एकस्ट्रा मैरिटल अफेयर्स मतलब जीवन साथी परेशान।

बुध हुआ तो साझेदार मित्र मंडली काम के अलावा सब कुछ करेगी।

चंद्र हुआ तो जितना भी लाभ होगा वो कम ही लगेगा। कहीं से भी किसी से भी संतुष्टि नहीं। मन में और पाने की चाह।

शनि हुआ तो कहना ही क्या लाभ प्राप्त तो होगा पर उस लाभ के लिए कितनी चप्पलें घिसनी पड़ेंगी वो तो सिर्फ शनि मर्ज ही जानते हैं।

मंगल हुआ तो उतावलेपन से जिद्द से क्रोध से जल्दबाजी से लाभ वाभ सब बराबर कर देगा। सबको निबटा देगा।

सूर्य हुआ तो जीवनसाथी की आग में जल जाएंगे। सांस लेने के लिए भी आज्ञा लेनी पड़ेगी। अपना कुछ नहीं जो है सब तेरा वाली बात रहेगी।

कुछ त्रुटि हुई हो या कुछ कम ज़्यादा बोल दिया हो तो क्षमा करें।

आचार्य दीपक सिक्का
संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी

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*ॐ नमः शिवाय*

*दशम भाव में केतु*

*केतु के कारकत्व* केतु को आध्यात्मिक विकास, मोक्ष, वैराग्य, तर्क, ज्ञान, अलगाव, और त्याग का कारक माना जाता है। यह व्यक्ति के पूर्व कर्मों को भी दर्शाता है और आकस्मिक घटनाओं, रहस्यमय मामलों और अज्ञात भय से संबंधित होता है। केतु शारीरिक कष्ट, बीमारियों, और भौतिक सुखों से दूरी का प्रतिनिधित्व भी करता है।

*केतु की दृष्टि* केतु की तीन दृष्टि मानी गई हैं ५, ७ और ९।

*अब केतु यदि दशम भाव में बैठेगा तो वो द्वितीय, चतुर्थ और षष्ठम भावों में दृष्टि डालेगा। इस प्रकार केतु ४ भावों में प्रभाव डालेगा २, ४, ६ और १०।*

अब समझते हैं केतु के दशम भाव में होने वाले परिणामों को।

१) कार्यक्षेत्र में बाधाएं डालेगा। जातक को अपना प्रोफेशन बार बार बदलना पड़ेगा या बार बार नौकरी बदलनी पड़ेगी। केतु एक प्रोफेशन में ज़्यादा समय तक टिकने नहीं देता।

२) जातक की आमदनी स्थिर नहीं रह पाएगी।

३) जातक को पिता का साथ नहीं मिलता या पिता से दूर रहता है या पिता से अलगाव रहता है।

४) जातक को सरकार का भी साथ या तो मिलता ही नहीं या फिर न्यूनतम मिलता है।

५) जातक का अपने परिवार वालों से अलगाव रहता है और परिवार का साथ नहीं मिल पाता।

६) जातक को वाणी दोष हो सकता है। जातक की रूखी और कड़वी वाणी होती है और जातक अपनी वाणी के कारण अपने सारे काम और संबंध बिगाड़ लेता है। जातक अपनी बात को स्पष्ट रूप से दूसरों के सामने रख नहीं पाता।

७) जातक की आमदनी स्थिर न रहने के कारण जातक की सेविंग्स न के बराबर होती है या तो सेविंग्स होती ही नहीं जिसके कारण जातक को समय समय पर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

८) जातक की माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। जातक का अपनी माता से भी मतभेद रहता है।

९) जातक को अपनी प्रॉपर्टी बनाने में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रॉपर्टी यदि किसी प्रकार बन भी जाए तो जातक उस प्रॉपर्टी को एंजॉय नहीं कर पाता। पैतृक प्रॉपर्टी प्राप्त करने में भी समस्याएं आती हैं और कानूनी पचड़ों में जातक को पड़ना पड़ता है।

१०) जातक अपनी दिनचर्या संतुलित नहीं कर पाता। जातक को नौकरी मिलने में समस्याएं आती हैं और यदि नौकरी मिल भी जाए तो जातक का तबादला बार बार होता रहता है या फिर जातक को बार बार नौकरी बदलनी पड़ती है।

११) जातक दबंग तो होता है परंतु शत्रुओं से घिरा रहता है जिसके कारण वो कभी कभी दूसरों के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है। हां परंतु अपने घर में जातक बब्बर शेर होता है।

१२) जातक को स्वास्थ्य समस्याएं भी आती रहती हैं। हालांकि जातक की इम्युनिटी सशक्त होती है।

१३) जातक का मन स्थिर नहीं रहता, वाणी कड़वी और रूखी होती है जिसके कारण उसको कार्यक्षेत्र में, आर्थिक स्थिति में और संबंधों में उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है।

१४) यदि जातक अपनी वाणी और मन को संतुलित रखे और आध्यात्म की तरफ जाए तो बहुत आगे बढ़ सकता है।

*आचार्य दीपक सिक्का*
*संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी

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*ॐ नमः शिवाय*



*शुक्र ग्रह के कुछ अद्भुत उपाय*



निम्नलिखित उपाय हैं:—

१) अपने घर का आग्नेय कोण (SE) ठीक रखें।

२) गऊ सेवा।

३) लक्ष्मी जी की उपासना करें।

४) श्री सूक्त अथवा कनकधारा स्तोत्र का पाठ।

५) शुक्राचार्य जी के गुरु महादेव की उपासना।

६) शुक्र के मंत्रों का जाप।

७) हीरा/ ओपल/ फिरोजा धारण कर सकते हैं।

८) अपने जीवन में अधिक से अधिक लग्ज़री का इस्तेमाल करना।

९) परफ्यूम, डिओड्रेंट, खुशबूदार इत्र, केवड़े का इत्र, मोगरे का इत्र, खुशबूदार पाउडर आदि का उपयोग करना।

१०) स्त्रियों की इज़्ज़त करना। स्त्रियों की रिस्पेक्ट करना।

बाकि कौनसा उपाय ज़्यादा कारगर है ये तो जातक की कुंडली ही बता सकती है। उसमें ग्रहों की स्थितियां, दशा, अंतर्दशा आदि।

*आचार्य दीपक सिक्का*
*संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी*

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*ॐ नमः शिवाय*

*तारा चक्र*

*कुल 9 प्रकार के तारा माने गए हैं, और हर नक्षत्र से ये क्रम चलता है।*
तारा और उनके फल
1. जन्म तारा — जन्म से संबंधित सामान्य।
2. सम्पत तारा — धन, संपदा, सफलता, लाभकारी।
3. विपत तारा — बाधा, रोग, अशुभ।
4. क्षेम तारा — सुख, शांति, सुरक्षा मिलेगी अवश्य परंतु अपने सामर्थ्य अनुसार दूसरों की सेवा और समाज सेवा करने पर।
5. प्रत्यारी तारा — हानि, विवाद, अशुभ
6. साधक तारा — कार्य सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, सफलता मिलेगी परंतु अपने आप को जानने और साधने के बाद।
7. वध तारा — कष्ट, संकट, मृत्यु तुल्य कष्ट, अशुभ।
8. मित्र तारा — सहायक, शुभ।
9. अतिमित्र तारा — यहां मेरे विचार बिल्कुल भिन्न हैं। ये आपका शत्रु नहीं अपितु अतिमित्र होता है। और मित्र की भांति ही आपके लिए सहायक बल्कि अति सहायक होता है।
ये साइकिल प्रत्येक माह में तीन बार ही रिपीट होगी क्योंकि प्रत्येक तारे में ३—३ नक्षत्र आते हैं।

अतः मेरे विचार से:—

1. सम्पत, मित्र, अतिमित्र — शुभ फलदाई
2. जन्म, क्षेम, साधक — सामान्य फलदाई
3. विपत, प्रत्यारी, वध — अशुभ फलदाई

एक और बात आपकी कुंडली में जो भी ग्रह आपके तारा चक्र के अनुसार जिस भी तारे वाले नक्षत्र में पड़ेगा वो ग्रह आपको वैसा ही फल देगा।

उदाहरणार्थ आपको धन, संपदा वही ग्रह देगा जो आपकी कुंडली में आपके तारा चक्र के अनुसार सम्पत तारे वाले नक्षत्रों में बैठा होगा।

*आचार्य दीपक सिक्का*
*संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी*

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