( 14/2/2019 आतंकवादी हमला )
आज फिर स्तब्ध हो गया हूँ मैं देख कर
आतंकवाद का ये खूनी मंजर !
एक साथ चालिस सैनिक आज फिर
आतंकवाद की भेंट चढ़े !
क्या दोष था निर्दोषों का थे वो भारत
माता की सुरक्षा में खड़े !
मिली न साबूत लास जिनकी टुकड़ों में
जिस्म को समेटा गया !
देकर तमगा शहीद का टुकड़ों को तिरंगे
में लपेटा गया !
इस नर संहार को अब न हमें कभी
जहन से अपने भुलाना होगा !
मानवता के दुश्मन इस आतंकवाद को
एक जुट हो जड़ से मिटाना होगा !
आतंकवाद आज समस्या नहीं एक मेरे
मुल्क हिन्दुस्तान की !
दुनिया के और भी मुल्कों ने आतंकवाद
के इस दंश को झेला है !
फिर क्यों आज इस मुश्किल घड़ी में
हिन्दुस्तान खड़ा अकेला है !
आओ आज हम मानवता के दुश्मन इस
आतंकवाद से एक जुट होकर लड़ें !
छोड़ ये जाती धर्म की लड़ाई मिल
जुलकर हों साथ खड़े !
आ गया है अब वो समय जब हमें
आपसी मतभेद भुलाना है !
मानवता के इस दुश्मन आतंकवाद को
कब्र में दफनाना है !!