सहस्र विफलताएँ मिलीं,
फिर भी सोचे क़दम यही,
रह न जाए कहीं बस,
और एक कोशिश की कमी...
विभिन्न राहों से तय की,
यात्रा मीलों की,
फूलने लगी हैं साँसे,
लक्ष्य फिर भी दूर सही,
रह न जाए कहीं बस,
और एक कोशिश की कमी...
जो बीता इस संघर्ष में,
उस हर क्षण की,
प्रयास नहीं परिणाम पर,
सार्थकता निर्भर रही,
रह न जाए कहीं बस,
और एक कोशिश की कमी...
कल को होगी जब चर्चा,
खोए हुए इस कल की,
गर्व हो या मलाल हो,
इस पल अब चुनना वही,
रह न जाए कहीं बस,
और एक कोशिश की कमी...
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