*तुलसी – नामाष्टक*
*वृन्दां वृन्दावनीं विश्व*
*पावनी विश्वपूजिताम् |*
*पुष्पसारां नन्दिनी च*
*तुलसी कृष्णजीवनीम् ||*
*एतन्नामाष्टकं चैतत्*
*स्तोत्रं नामार्थसंयुतम् |*
*य: पठेत्तां च संपूज्य*
*सोऽश्वमेधफलं लभेत् ||*
*भगवान नारायण देवर्षि नारदजी से कहते हैं : “वृन्दा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं | यह सार्थक नामावली स्तोत्र के रूप में परिणत है |*
*जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है |*
*( ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खण्ड*
*अंबे*