क्या सुबह सुबह आप मुझे परेशान करते हो बाऊजी,कमसेकम एक रविवार तो चैन से सोने दिया करो, वैसे ही पूरा सप्ताह निकल जाता है नौकरी,घर और बच्चों को संभालने में ऊपर से आप मुझे हर वक़्त परेशान करते हो।
कुछ नही बहु मैंने सोचा सुरेश के चले जाने के बाद तूने सबकी खुशियों के बीच अपनी खुशियों को पता नही कहाँ खो दिया,आज तेरा जन्मदिन है तो तेरे लिए रसगुल्ले लेके आया तुझे पसंद है ना, थोड़ी खुशियों पर तो तेरा भी हक़ है।
ये सुन स्नेहा की आँखों में आँसू आगये। और बाबूजी के पैर छूकर माफ़ी माँगी।