चित्त चोर
आँखों से तेरी नींदे चुराकर, फिर सपनो में तुझे अपना बनाकर।
दिल से तेरी धड़कने चुराकर, फिर बस जाएं तेरी रुह के भीतर।
ज़हन से तेरे शब्दों को चुराकर,फिर हर वाक्यों में मेरा नाम बसाकर।
होंठो से तेरी खामोशी चुराकर,फिर तेरे जीवन में हरियाली पिरोकर!
चोर हूँ,कुछ और मत समझना!
गलतियाँ कर रहा हूँ,तेरी सांसो को इस्तेमाल कर रहा हूँ, अपने जीवन को बदलने के लिए ।
प्यार है सच्चा,स्वार्थ मत समझना!
मिल जाएगा और भी पर मेरे जैसा चोर नहीं मिलेगा।
चित्त चोर हूँ,कुछ और मत समझना!
बारिश से बीनी मिट्टी की खुशबू छीन लें,तेरे सूखे रण समान मन में इसकी बौछार कर दें।
सितारों से उसका टिमटिमाहट छीन लें,तेरी उदासीन आँखों में उसकी जगमगाहट भर दें।
प्यार है सच्चा,स्वार्थ मत समझना!
चित्त चोर हूँ,कुछ और मत समझना!