तुम्हारी बिती यादों मी इस कदर खो जाते है हम,
कभी कभी, 'आज' को जिनाही भूल जाते है हम।
फिर भी यादों से कोई शिकवा नही हमें,
बस उन्हें दुबारा जी नहीं सकते, यही गम है हमें।
काश तुम अब भी साथ होती तो थोडी गुस्ताखी करता,
कुछ कडवी यादों को, सुधारके दुबारा लिखने की कोशिश करता।
अफसोस की हम जानते है, साथ आना अब मुमकीन नहीं,
इन गुजरी हुई यादों के अलावा, जिंदगी में अब कुछ हसीन नहीं।
इन्हीं यादों के सहारे अब जी लेंगे हम,
बुरा न मनो, जिंदगी के सारे सितम सह लेंगे हम।