~ एक सावली सी लड़की 



एक सावली सी लड़की 
        एक बावली सी लड़की 
कच्ची हैं उम्र जिसकी
   कुछ दिन से जानें किसकी 
चाहत में खो गई हैं 
                 दिवानी हो गई हैं 
एक सावली सी लड़की 
        एक बावली सी लड़की 
क्या जानें ख्वाब किसका 
             आंखों में हैं संभाले 
कुछ सोचती है सब भर
           मुुंह पर लिहाफ डालें 
घर वाले सोचते हैं 
               जल्दी से सो गई हैं 
सुुुदबुद हैं उसको खुद की 
           सुदबुद नहीं है घर की 
हर दिन बदल रही हैं 
               कुर्ती नये कलर की 
बेरंंग ओढनी भी 
                     रंगीन हो गई हैं 
एक सावली सी लड़की 
         एक बावली सी लड़की 
वो ध्यान ही न देेेगी 
           कया कह रहीं हैं टीचर 
 एक नाम उँगलीओ से
           लिखति रहेगी दिनभर
कुछ भी न पढ शकेगी 
                     स्कूल तो गई हैं 
एक सावली सी लड़की 
          एक बावली सी लड़की 
खिड़की से झांकती हैं
             माँ से नजर बचा कर 
बेचैन हो रहीं हैं
    कयू घर की छत पर जा कर 
क्या ढुुुंढती हैं जानें 
                क्या चीज खो गई हैं 
नानी से अब कहानी 
                          सुनती नहीं है 
गुडीयोंं से तितलीओ से
                    अब दोस्ती नहीं है 
नाजुुुक कली भी गुलनार हो गई हैं 
एक सावली सी लड़की 
                    एक बावली सी लड़की 


                     
     
~ Anjum rehbar
  
 

Hindi Shayri by Raj Brahmbhatt : 111023457
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