जीना किसे नहीं आता,
सुनकर बहौत अफसोस होता है
कि जीना किसे नहीं आता
ये तो आज के दौर में आम बात है;
पर खबर माँ तक नहीं पहुँची होगी
कि माँ मुझे पूरी तरह से जीना आ गया,
आज बेटा बड़ा हो चला है
पता है माँ को |
और ये भी पता है कि
दुनियाँ जब रुलाएगी उसे तो
दौड़कर मेरी गोद का सहारा लेने जरुर आएगा
और तभी वह वक्त होगा
जब माँ उस पर स्नेहमयी आँचल में
अपनी ममता का सारा प्यार उड़ेलेगी
और थका-हारा पुत्र फिर से
पहले की तरह ही
माँ की गोद में सो जाएगा
और फिर से उड़ने के नए-नए सपने देखेगा|
= --राहुल मौर्य'पेनरॉक नाथन'