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"माँ" जब भी चोट लगी माँ मुझको, मैंने तुम्हें पुकारा है। तत्क्षण गोद में लेकर माँ, तुमने ही पुचकारा है। भूख लगी जब भी माँ तुमने, अपने हाथों से खिलाया है। नींद नहीं आने पर भी माँ तुमने लोरी गाकर सुलाया है।। छोटी सी गलती पर भी माँ तुमने ही फटकारा है। पर मुश्किलों में हरदम माँ तू ही बनी सहारा है।। जीवन के हर सुख से उपर माँ तुम मुझको प्यारी हो।। मेरी खुशियों की बगिया की माँ तुम्हीं फुलवारी हो।।" अम्बिका झा ✍️ -Ambika Jha
"मेरी खुशियों की अर्थी पर सुख की सेज सजे तेरी। मेरी आंखों की नमी नजर का टीका बने तेरी।। मेरी नींदें चुरा कर तुम सुकूं से रात भर सोना। भले करबट बदलते ही भींगे मेरे बिस्तर का हर कोना।।" अम्बिका झा ✍️ -Ambika Jha
"जहां वह डूब कर मरी थी" "जिंदगी के पड़ाव को झेलकर सुख-दुख संग बिताना है। जहां वह डूब कर मरी थी , अब वही मेरा ठिकाना है। खुशियों में संग-संग जीकर, गमों में साथ छोड़ गयी। आगे भी संग साथ बिताना है। जहां वह डूब कर मरी थी , अब वही मेरा ठिकाना है। कयी गम झेल लिया संग संग गुनगुनाना प्यार का तराना है जहां वह डूब कर मरी थी , अब वही मेरा ठिकाना है। वादा था संग संग साथ जीने का हमें मरने के बाद भी निभाना है जहां वह डूब कर मरी थी , अब वही मेरा ठिकाना है। कहा था जिंदगी के किसी मोड़ पर, साथ नहीं छोड़ेंगे। मरते वक्त भी हाथ नहीं छोड़ेंगे। उसने अपना वचन तोड़ा है। तो क्या हुआ ,वाद हमें निभाना है जहां वह डूबकर मरी थी, अब वहीं मेरा ठिकाना है।।" अम्बिका झा ✍️ -Ambika Jha
"लम्हें" बहुत नजर अंदाज करने लगे हो आजकल बाज आजाओ नहीं तो इन्हीं आंखों से ढूंढोगे। कुछ सालों बाद यह पल तुम्हें बहुत याद आएंगे जब हम सब अपनी मंजिल पर पहुंच जाएंगे। अकेले जब होंगे साथ गुजारे हुए लम्हे याद आएंगे पैसे होंगे,खर्च करने के लिए लम्हें कम पड़ जाएंगे। एक एक बातें दोस्तों की याद दिलाएगी, सोचते सोचते फिर से आंखें नम हो जाएगी। जिंदगी में जरूरतें, कभी खत्म नहीं होने वाली, दिल खोलकर जी लो, ये लम्हे फिर नहीं आएगी। अम्बिका झा ✍️ -Ambika Jha
वो दो बारहसिंगा जो मेरे खेत में घूमा करता था। हर पल साथ ही रहता था। साथ ही खाता था। गलतफहमी की दीवार उससे जो टकराया था दुनिया की नजरों से वह भी बच नहीं पाया था। हो गया एक दूसरे से दूर जो कभी हम साया था। वही आज अलग-अलग तन्हा समय बिताता था। आंखें नम और चेहरे पर उदासीयों का छाया था। दूर रहकर भी एक दूसरे के सजदे में सर झुकाता था। ना कोई शिकायत ना बद्दुआ ना कोई पछतावा था वह तो गम हो या ख़ुशी हर पल मुस्कुराता था।। अम्बिका झा ✍️ -Ambika Jha
"रिश्ता रूह से रूह का" "तुम सा भला प्यार मुझे कौन करेगा। तुम से बेहतर ख्याल मेरा कौन रखेगा।। तुम्हारे आने से ही जीवन में बहार आई है जीवन में खुशियों का रंग भला कौन भरेगा। जिंदगी के सफर में मिलेंगे और भी राही तुम्हें। रिश्ता रूह से जुड़ा तो हमें, दूर भला कौन करेगा। माना मुझसे भी बेहतर तुम्हें और मिलेंगे। पर मुझ से ज्यादा ऐतबार भला कौन करेगा। मैंने अपनी सारी आरज़ू तुम्हारे नाम दी है। तुम्हें मुझसे भला ज़्यादा प्यार कौन करेगा।।" अम्बिका झा ✍️ -Ambika Jha
"नारी" "नारी जीवनदायिनी नारी की पहली गोद मिली नारी के आँचल की छाँव में मुझे सुकून मिला। युगों-युगों से इस धरा पर नारी का प्रतिकार हुआ। बालों से घसीटा कभी आँचल को फाड़ दिया।। भरी सभा में अपनों ने नारी का तिरस्कार किया। अस्मत को लूटा इज्जत को तार-तार किया।। फिर भी नारी माँ बनकर बच्चे को पुचकारा है। बहू बनकर परिवार को संभाला और संवारा है। हर रूप में हर रिश्ते को प्यार और सम्मान दिया। बच्चे आँखों के ज्योति पति को स्वाभिमान दिया। पिता के सम्मान में ख़ुद का ही बलिदान दिया। बच्चे को पाला जीवन मार्ग और ज्ञान दिया।। अपनों की हर गलती को नजरअंदाज किया। समस्याओं का जिसने हर पल निदान दिया।। विपदाएँ हर, अपने आँचल में आँसू समेट लिया। घर हो या फिर हो ऑफिस अपना योगदान दिया। बनी आत्मनिर्भर समाज को पूरा सम्मान दिया। बच्चे की बलाएँ लेने अन्न जल का त्याग किया। पति की उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत किया। खुद भूखे रहकर भी बच्चे को स्तनपान दिया। गीले में सोकर भी बच्चे को सूखे पर सुलाया है। वह नारी है जो बच्चे की विपदा दूर भगाया है। नारी ही है वक्त पडे तो दुश्मन को धूल चटाती है। बनती रानी लक्ष्मीबाई, तो कभी महाकाली है। वह नारी है दिन रात जागकर सेवा करती है। सुकून की नींद देने को लोरी भी वह गाती है अपनों की गलती पर डाँटती और चिल्लाती हैं पर डाँट में चिंता और प्यार झलक ही आती है। जब आँख खुली तो एक नारी की गोद मिली नारी के स्तन के एक बूंद से जीवनदान मिला।।" अम्बिका झा ✍️ -Ambika Jha
"पनिहारियाँ" "आज गाँव के पनघट पर ना देखोगे तुम नारियाँ चक्कर खाते रह जाओगे ना दिखेंगी पनिहारियाँ सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक पर तुमको दिख जाएंगी। ऊंची हील की सैंडल पहने कॉलेज में मिल जाएंगी सुबह-सुबह की आरती में मंदिर में दिख जाएंगी या आफिस के कामों में व्यस्त बहुत मिल जाएगी। मिल सकती किचन में टिफिन पैक करती हुई। या फिर फैंसी साड़ी में मॉडलिंग करती हुई।। दिख सकती देश की सुरक्षा में खड़े सैनिक के कतारों में। या आसमां को छूते सुनहरे सपनों के ख्यालों में। दिख सकती है उड़ते फ्लाइटों के ऊंची उड़ानों में। या समाज को शिक्षित करते हुए अभियानों में। दिख सकती परिवार के जिम्मेदारी निभाने मेंं या औरों के हक के लिए आवाज उठाने में।। दिख सकती हैं अत्याचारों के खिलाफ लड़ते हुए या अत्याचारयों को सबक सिखलाते हुए।। आज गाँव के पनघट पर ना देखोगे तुम नारियाँ चक्कर खाते रह जाओगे ना दिखेंगी पनिहारियाँ।। अम्बिका झा ✍️ -Ambika Jha
"चलो कहीं घूम आते हैं" "चलो कहीं घूम आते हैं। एक नया इतिहास रचाते हैं। हकीकत में ना सही ख्वाबों में ही, कुछ पल साथ बिताते हैं।। चलो कहीं घूम आते हैं।। थक गई कर्तव्य चक्की में पीस कर जिम्मेदारियों का बोझ ढ़ोकर कुछ पल सुकून का जी ही लेते हैं। चलो कहीं घूम आते हैं।। इन आंखों में प्रकृति के, कुछ हिस्सों को बसाते हैं वर्षों से खामोश पड़े जज़्बात को, चलो आज पंख लगाते हैं। चलो कहीं घूम आते हैं।। करते हैं सैर होकर दुनिया से बेखबर, नैनों में बसा दिल में आत्मसात कर, कुछ पल यूं ही मुस्कुराते हैं। चलो कहीं घूम आते हैं।। ना मंदिर ना गुरुद्वारे ना किसी तीर्थ स्थल पर जातें हैं, भरकर मन में प्रेम की भावना, किसी अनाथ आश्रम से होकर आते हैं, चलो कहीं घूम आते हैं।।" अम्बिका झा ✍️ -Ambika Jha
""सुनो तुम्हें कुछ आज कहूँ" ""सुनो तुम्हें कुछ आज कहूँ, अपनी दिल की हर बात कहूँ,, सोये हुए जज़्बात कहूँ, कुछ दर्द कहूँ कुछ ख्वाब कहूँ, कुछ, सपनों से भरे जज़्बात कहूँ,, कह दूँ तुम्हें, दिल की हर ख्वाहिशें। तुम से मिलकर जो खुशी मिली, वो खुबसूरत एहसास कहूँ, शब्दों के सागर में उतर कर अपने दिल का कुछ हाल कहूँ, लहरों के तुफ़ान में तिनका-तिनका, बिखरे जज्बातों के ख्यालात कहूँ, सुलगती ख्वाहिशों के कुछ राज कहूँ। अंतर्मन के वेदना के कुछ अनकहे जज़्बात कहूँ, अपने उपर हुए जुल्मों का कुछ हिसाब कहूँ,। वक्त की साजिश, के तहत किस्तों में टूटे दिल के हालात कहूँ, किस्मत के फैसले का कुछ मजाक कहूँ, ग़म गीन आँखें और खामोश लबों की कुछ भुली बिसरी याद कहूँ,। सुनो ना, कुछ शिकायत कहूँ,, या कुछ अधूरी चाहतें, अच्छा जाने दो, आज़ नहीं कल के बाद कहूँ,।। कभी आँखों में आँसू कभी खुशियों से भरी हुई मुस्कान कहूँ। हमारे ऊपर किए गए तुम्हारे ऐहसानों के लिए, तुम्हें बारंबार धन्यवाद कहूँ।।" अम्बिका झा 👏 -Ambika Jha
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