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भाग 1–5: "सिद्धार्थ का जन्म और बाल्यकाल"
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भाग 1: कपिलवस्तु की सुबह
कपिलवस्तु नगरी में राजा शुद्धोधन और रानी मायादेवी का महल खुशियों से गूंज उठा। एक दिव्य बालक का जन्म हुआ, जिसका चेहरा मानो चाँद की शीतलता लिए हुए था। उस रात पूरे महल में अद्भुत सुगंध फैली। आकाश में असंख्य तारे जैसे नाच रहे थे।
ऋषि असित ने बालक को देखा और कहा – "यह बालक एक दिन संसार का अंधकार दूर करेगा, पर इसके हृदय में वैराग्य की अग्नि जलेगी।"
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भाग 2: नामकरण और रहस्यमय संकेत
बालक का नाम रखा गया – सिद्धार्थ, जिसका अर्थ है ‘जो अपने लक्ष्य को सिद्ध करेगा’। किंतु नामकरण के समय ही असित ऋषि की आँखों से आँसू गिर पड़े।
राजा ने पूछा – “ऋषिवर, आप क्यों रो रहे हैं?”
असित बोले – “क्योंकि यह बालक महान होगा, पर वह मेरा जीवन रहते संसार का उद्धार नहीं करेगा। मैं उसके उपदेशों को सुनने से वंचित रह जाऊँगा।”
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भाग 3: भविष्यवाणी का डर
शकुनों के विद्वान पंडितों ने भविष्यवाणी की – “राजन, यह बालक या तो महान सम्राट बनेगा, या फिर सब कुछ छोड़कर संन्यासी बन जाएगा।”
राजा शुद्धोधन ने मन में प्रण किया – “मैं इसको वैराग्य से दूर रखूँगा, इसको केवल सुख-सुविधाओं में पालूँगा।”
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भाग 4: स्वर्ण पिंजरे का राजकुमार
सिद्धार्थ को सोने के पालनों, रत्नों के खिलौनों और राजमहल के सुखों में रखा गया। राजा ने आदेश दिया कि कभी भी सिद्धार्थ को मृत्यु, दुख या बीमारी का कोई दृश्य न दिखाया जाए।
राजमहल एक स्वर्ण पिंजरे में बदल गया।
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भाग 5: बालक सिद्धार्थ की करुणा
एक दिन बगीचे में खेलते समय सिद्धार्थ ने एक घायल पक्षी को देखा। उसने उसे उठाकर अपनी गोद में लिया और रो पड़ा –
"पिता, यह पक्षी क्यों रो रहा है?"
उसके बाल मन में करुणा की पहली लहर उठी।
महात्मा विश्वामित्र ने कहा – “राजकुमार, करुणा ही सच्चे राजा का आभूषण है।”
काफ़ी कैफ़े....
" शिवना प्रकाशन" से आयी रश्मि तारिका की कॉफी कैफ़े 16 कॉफी के दानों से भरा एक सहज सरल कॉफ़ी का मग है। कहानियों को पढ़कर जो मेरे मन में आया वही लिख रही हूँ, कोई समीक्षक नही हूँ और न ही अपने से ज्यादा अनुभवी की समीक्षा का साहस कर सकती हूँ। कहानियाँ पढ़कर अपने मन में आये विचार आपसे साझा कर रही हूँ।
1--- वह निशा ही थी- एक ही पंक्ति में कहूंगी कि सार्थक
प्रयास बिखरे रिश्तों को समेटने का। आज की व्यस्तम जिंदगी की जद्दोजहज में जब कहीं किसी को भी रिश्तों को महत्व देते देखती हूँ तो मन प्रसन्न हो जाता है।
2 -- एक मुहब्बत ऐसी भी- बच्चों के परदेस में बस जाने
के बाद वृद्धावस्था में पति-पत्नी
के अकेलेपन से उपजी नोक झोंक के साथ ही जीवन पर्यंत खुद को जवां रखने की जद्दोजहज का सुंदर चित्रण किया है साथ ही हाईटेक होने के फायदे और अति से नुकसान का वर्णन बेहतरीन तरीके से हुआ है। यकीनन किसी भी स्थिति में संतुलन बेहद आवश्यक है।
3 -- गुमनाम पत्र- आजकल किटी का चलन बहुतायत में
है उसे ज्ञानवर्धक और सार्थक बनाने के प्रयास में स्वागत योग्य कदम। विशेषकर घरेलू महिलाओं के लिए।
4-- मुक्ति- कहानी मेरे दिल के सबसे करीब पहुंची।
एक सशक्त महिला के रूप में उभरकर आयी सुष्मिता। गृहस्थी बचाने के लिए समझौता कोई बुरी बात नही लेकिन खुद को रौंद कर समझौते ज्यादा दिन नही टिकते। सुष्मिता सी महिलाओं को मेरा प्रणाम।
5-- मर्जी का सुख- एक औरत की चुप्पी और गलत को
गलत न कहने के कारण घर कैसे बर्बाद होता है इसका सटीक चित्रण किया गया है। पंजाबी शब्दों का और लहजें का प्रयोग रोचक लगा है।अंत में नायिका का मजबूती के साथ उभर कर आना स्तब्ध कर गया।
6--कच्ची धूप- जवान होते बच्चों के भटकते कदम और
उनको सही राह पर लाने की एक माँ की कवायद का भावुक चित्रण। सार्थक दिशा देती हुई कहानी।
7 गार्लिक सटीक - कुछ बातों से असहमति है मेरी
लेकिन लड़कियों स्वावलम्बी बनाने की बात को मेरा समर्थन लेकिन आत्मनिर्भरता का अर्थ यह नही कि उनके मन की मर्जी ही सर्वोपरि। कहीं न कहीं मुझे लगा कि सन्देश को सही तरीके से पहुँचाया नही गया।
8-- प्रस्ताव - कहानी आरम्भ में अतिरिक्त विस्तार सहित
बोझिलता लिए हुए नजर आई। अंत तक गति काफ़ी तेज, रोचक, सारगर्भित और कहानी सशक्त रूप से उभरकर सामने आई। एक सार्थक अनुकरणीय कथानक।
9-- वैल विशर- आधुनिक सशक्त नारी के मन की छोटी
छोटी स्त्री परक इच्छाओं का लाभ उठाता पर पुरुष। पुरुष की छद्म मानसिकता और नारी का जान बूझकर छली जाने का रोचक वर्णन। सभी मनचली महिलाओं के लिए नेक सलाह।।
10--कॉफी कैफ़े- प्रेम के इजहार वाले दिन बच्चों द्वारा
माँ पापा को दिया बेहद प्यार भरा तोहफा। बरसों बाद भी रिश्ते में ताजगी महसूस कराती कहानी।
11--नई सुबह- सच्चे प्रेम की एक पाती प्रेम भरी। हवा के
झौंके की तरह मन को सहला गयी।
12--बस अब और नही- एक महिला के कदम दर कदम
आत्मसम्मान के संग आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम।यकीनन अब समाज सकारात्मक बदलाव की और अग्रसर है।
13--वाह वोमेनिया- एक बेहद प्यारी कहानी। इस तरह
के पल अक्सर जीती हूँ अपनी प्रगाढ़ सखी के सँग तो बहुत अच्छे से समझ पायी। रिश्तों को नई ऊर्जा से भरने वाले पल होते हैं। सभी महिलाओं को अपने लिए ऐसे पल निकालने की सलाह दूँगी।
14--आखिर कब तक-.जो साहस मालती ने 15 साल
बाद दिखाया,काश साक्षी के जन्म के समय ही दिखा देती। नरेश का बदलाव परिस्थितियों के दबाव की वजह से क्योंकि दोनो बेटे भी बहन को घर लाना चाहते थे। आरम्भ में मालती का दबी महिला और अंत में खुल कर सशक्त रूप में सामने आना, स्थिति अनुसार निर्णय लेने की मजबूरी भी दर्शाता।
15--जमा पूंजी- फिर से साबित हुआ कि प्यार अंधा होता
है। माता पिता के जीवन के अनुभवों से बच्चे कुछ बातें स्वीकार कर लें तो बहुत सारी अप्रिय स्थितियों से बचा जा सकता है। प्रशंसनीय कदम साक्षी का कि अति पर पहुंचने से पहले ही दहेज लोभियों को उनका मुकाम दे दिया।
16--इमोशन इन एंड आउट-.लिव इन में रहने वाले जोड़ों
के लिए शानदार सबक। गृहस्थी का सुख निश्चिंत ही स्थायी और शांतिप्रदायक होता है।
जैसा कि रश्मि से ज्ञात हुआ कि प्रूफ रीडिंग का समय नही मिला था तो मुझे वही जगह जगह छोटी छोटी मात्राओं की गलतियों के रूप में नजर आया। मुझे लगता है कि यहाँ प्रकाशक को ध्यान देना चाहिए था आखिर यही छोटी छोटी त्रुटियां उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करती है। कवर पेज पर मग से उठता धुंआ कॉफी की खुशबू को दिमाग में बसाता हुआ उड़ा। सीधी सरल कहानियां दिल को छूती हुई, कुछ नेक सलाह देती हुई तो कुछ समाज की कमजोरियों पर आघात से करती हुई।
भविष्य में आने वाले संग्रहों की अग्रिम शुभकामनाओं सहित।
विनय....दिल से बस यूं ह
लिख तो दू जनाब
आप पर एक किताब।
पर डरती हु पसंद ना आई कोई बात,
बेवजह गुस्सा करोगे आप।
गुस्से में बोलोगे अनाप शनाप,
अनाप शनाप नहीं सुनूंगी चुपचाप।
फिर शुरू होगी दमदार,
दोनों में तकरार।
तकरार के बाद दोनों की ,
बोलचाल बंद होगी दिन रात की ।
बोलचाल बंद होते ही होगा दिमाग का दही,
ना हो दिमाग का दही
इसलिए नहीं लिखी किताब कोई।
Something Brighter Is Coming ✨
I know it feels like the sky is falling sometimes…
But I promise, the cycle is turning—
and what’s coming will be worth every bit of the wait. 🌙
Stay steady.
Life is just clearing the old clutter
to welcome your next miracle. 🌟💖
#Hope
(आज मेरे पास एक सवाल आया यह सवाल मेरे (follower) ने मुझसे किया)
[Why it's always me no i don't mean that why everything goes wrong with me because i know what I have some peoples desire of but at the least the loser know they are loser and winer know they are winner but me I am on middle which hurt most because if i try i don't know i am going to fail or pass or most of I am second or below and that hurt It's ok if i am not winning at the least I lose if I lose at the least I know i am a looser not the average]
यह सवाल सिर्फ उनका नहीं बल्कि आज के समय में अनेकों का है मुझे पहले समझ नहीं आया कि मैं इस सवाल का जवाब क्या दो क्योंकि आज जिस सिचुएशन में वो है
वही सिचुएशन कही न कही मेरी भी है पर फिरभी मैं उनको उनके इस सवाल का जवाब जरूर दूंगी वो भी अपने अंदाज में आशा करती हु आपको पसंद आयेगा।
["जो बीच में होता है,
वो थमता नहीं,
वो चुपचाप खुद को गढ़ता है।
न हार की पहचान, न जीत का ताज —
बस एक सफ़र, जहाँ हर कदम
किसी बड़ी उड़ान की शुरुआत होता है।"]
"आप हार नहीं रही है , आप बस खुद को बना रही है।
हर कोई या तो जीत जाता है या हार मान लेता है,
पर जो बीच में होता है — वही सबसे ज्यादा जूझता है।
आपकी ये उलझन बताती है कि अपने अभी हार नहीं मानी।
बीच में होना कोई कमजोरी नहीं है,
क्योंकि यहीं से शुरू होती है सबसे बड़ी उड़ान।
आपका भी वक्त आएगा — बस अभी थमना मत, हारना मत।"
"आपको शायद अभी जवाब नहीं दिख रहा,
पर आपकी हर कोशिश
एक दिन सवालों को ख़ामोश कर देगी।"
अगर आप इस एक मोड़ पर,
जहाँ तुम आप हो — जहाँ सब बिखरा लग रहा है,
अगर यहाँ भी आप रुककर हार नहीं मानोगी,
तो यहीं से आपका future बदल सकता है।
आप हार मत मानिएगा क्योंकि हर माना आसान है एक लड़ाई में ।पर कोशिश करना मुश्किल और जो आखरी दम तक हिम्मत न हार कर कोशिश करता है वहीं लड़ाई जीता है।
(मुझे आप पर पूरा विश्वास है इस जिंदगी की लड़ाई से आप जरूर जीतेंगी आशा करती हूं कि आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा ।)
(*और इसके अलावा thank you so much❤️ की आप मुझे और मेरी कहानियों को मातृभारती पर इतना प्यार दिखा ती है और कोई आप पर यकीन करे या न करे पर मुझे आप पर पूरा विश्वास है थैंक्यू सो मच मुझ पर विश्वास करने के लिए)
-ShivangiVishwakarma
कभी लगता है शोर हू मैं....
कभी लगता है मौन हू मैं ,,,
ये समझ नही आ रहा आखिर कौन हूं मैं..?
कभी लगता है मुस्कुराहट हूं...
मैं कभी लगता है घबराहट हूं मैं खुद को रोज तलाशू आखिर कौन हूं मैं....
कभी लगता है मंजिल को पाने की राह हूं मै ...
कभी लगता है आसमान को छूने की चाह हूं ...मैं जिंदगी के सफर में ये नही समझ आ रहा आखिर कौन हूं मैं...!!
–निर्भय शुक्ला....
गुज़रे हुए लोग कहाँ लौटते हैं?
बचपन की रेतें नहीं लौटती,
वो टूटी हुई पेटियाँ नहीं बजतीं।
आंधियाँ लौट के कब आई हैं,
जो शाखें झुकीं, फिर नहीं सजतीं।
जो बिछड़ गए, वो बस यादों में हैं,
ना वो बातें, ना वो वादों में हैं।
"गुज़रे हुए" लौटते हैं कहाँ,
बस नींदों में या फ़रियादों में हैं...!!
–निर्भय शुक्ला....
कहानी: “राजु और बादल का फोन” (लंबी कथा)
प्रसौनी गाँव के खेत इस बार कुछ उदास दिख रहे थे। चारों ओर सूखा, फटी हुई ज़मीन, और किसान की आँखों में चिंता की लकीरें। इन किसानों में से सबसे ज्यादा बेचैन था राजु। राजु हमेशा अपने खेत को संवारता, समय पर बोआई करता, पर इस बार आसमान ने जैसे मुँह फेर लिया था।
रोज सुबह-सुबह राजु बैलगाड़ी से खेत तक जाता। ज़मीन को हाथ में लेकर देखता—“सूख गई मिट्टी। ये धान का पौधा कैसे जिंदा रहेगा?”
वह आसमान की ओर देखता और कहता, “हे भगवान! क्या हमसे कुछ गलती हो गई? बरसात भेज दो, वरना फसल बर्बाद हो जाएगी।”
लेकिन दिन बीतते गए, आसमान खाली और गर्म रहा। गाँव के लोग भी परेशान थे। कुएँ का पानी सूखने लगा, तालाब सूखने लगे।
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राजु का पागलपन
एक शाम गाँव की चौपाल पर लोग बैठे थे। कोई कह रहा था, “मुंबई में तो हर दिन बारिश हो रही है।”
दूसरा बोला, “गुजरात में बाढ़ आ गई है।”
राजु यह सुनकर फट पड़ा—
“अरे, बादलवा को कौन बताए कि प्रसौनी भी दुनिया में है! वहाँ पार्टी मना रहे हैं, यहाँ खेत मर रहे हैं। ऐसा नहीं चलेगा!”
गाँव वाले हँसने लगे, पर राजु गंभीर था। वह बोला,
“अब मैं खुद बादलवा को फोन करूंगा। बात साफ-साफ कर दूंगा कि प्रसौनी को मत भूलो।”
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बादल को फोन करने का जुगाड़
राजु अपनी बैलगाड़ी का एक पहिया निकाल लाया। उसने गाँव के बच्चों को बुलाया और कहा—
“देखो बेटा, आज हम बादल को फोन करने वाले हैं। ये पहिया टेलीफोन का डायल है। रस्सी को वायर समझो। अब देखो कैसे बादलवा को कॉल करेंगे।”
बच्चों ने शोर मचाया—“राजु चाचा बादल से बात करेंगे!”
राजु ने आसमान की तरफ रस्सी फेंकते हुए कहा—
“हैलो बादलवा! मुंबई-गुजरात घूमे हो, अब प्रसौनी भी घूम आओ। धान लगाना है, खेत प्यासी है। जल्दी बरसो नहीं तो गुस्सा कर देंगे!”
गाँव के लोग ये नाटक देखकर हँसी नहीं रोक पा रहे थे। किसी ने मज़ाक में कहा,
“राजु, अगर बादल उठाए फोन, तो कहना दो घंटे जोरदार बारिश दे।”
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आसमान का जवाब
और अरे वाह! जैसे ही राजु ने ये कहा, आसमान में काले बादल घिरने लगे। हवा चलने लगी। लोग हैरान रह गए।
राजु बोला—
“देखा! हमसे कहे रहनी... फोन लगाइए, बादल जरूर बरसेंगे।”
थोड़ी देर में बारिश शुरू हुई। खेतों में जान आ गई। बच्चे बारिश में नाचने लगे, और राजु खुशी से कूद पड़ा।
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राजु का नाम
उस दिन के बाद गाँव के लोग राजु को “बादल बुलाने वाला बाबा” कहने लगे।
राजु मुस्कुराकर कहता,
“अरे भाई, बादल हो या किस्मत, मेहनत और उम्मीद से ही सब कुछ बदलता है। हम मेहनत करेंगे, तो बादल भी फोन कर देंगे।”
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कहानी की सीख:
कभी-कभी हँसी-मजाक में की गई जिद भी उम्मीद की ताकत बन जाती है। विश्वास और मेहनत से ही जीवन की सूखी ज़मीन पर बारिश होती है।
Story: "Raju and Badal's phone" (long story)
The farms of Prasauni village were looking a bit sad this time. Dry, torn ground all around, and concern lines in the farmer's eyes. Raju was the most restless among these farmers. Raju used to decorate his farm, sow on time, but this time the sky turned its face.
Raju goes from bullock cart to farm every morning. Taking the ground in hand and looking - "The soil has dried up. How will this paddy plant survive? ”
He looks up to the sky and says, "Oh God! Did we make any mistake? Send the rain, otherwise the crop will be ruined. ”
But the days went by, the sky remained empty and warm. The village people were also upset. The water of the well started drying, the ponds started drying.
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Madness of Raju
One evening people were sitting on the village chaupal. Someone was saying, "It is raining every day in Mumbai. ”
Another one said, "Gujarat has flooded. ”
Raju burst out hearing this—
"Oh, who will tell the cloud that Prasouni is also in the world! Partying there, farms are dying here. It won't work! ”
The villagers started laughing, but Raju was serious. He spoke,
"Now I will call the cloud myself. I will make it clear that don't forget Prasouni. ”
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The trick of calling the cloud
Raju brought out a wheel of his bullock cart. He called the village children and said—
"Look son, we're gonna call the cloud today. This wheel is a telephone dial. Consider the rope as a wire. Now see how to call Badalwa. ”
Children shouted - "Raju uncle will talk to Badal! ”
Raju threw the rope towards the sky and said -
"Hello Cloud! Have you visited Mumbai-Gujarat, now visit Prasauni too. Paddy is planting, the field is thirsty. Rain soon or we will get angry! ”
The villagers could not stop laughing after watching this drama. Someone said as a joke,
"Raju, if the clouds pick up the phone, then say give heavy rain for two hours. ”
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The answer to the sky
And oh wow! As soon as Raju said this, the black clouds started roaming in the sky. The wind started blowing. People were shocked.
Raju speaks—
“Look out! Tell us to stay... Put on the phone, the clouds will definitely rain. ”
Started raining in a while. The fields have died. Children started dancing in the rain, and Raju jumped happily.
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The name of Raju
After that day, the villagers started calling Raju "Baba called the cloud".
Raju says with a smile,
"Oh brother, be it cloud or luck, hard work and hope changes everything. If we work hard, even the clouds will call. ”
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The lesson of the story:
Sometimes the stubbornness made in laughter becomes the strength of hope. Faith and hard work rains on the dry ground of life.
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