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कुछ विचार ऐसे होते हैं जिन्हें शब्दों की जरूरत नहीं होती।
वे बस मन के किसी कोने में आकर बस जाते हैं — खामोशी और गहराई से।
हम कई बार उन्हें बायाँ करना चाहते हैं, किसी से साझा करना चाहते हैं,
लेकिन फिर यह सोच कर खामोश हो जाते हैं — कि सामने वाला इंसान इसे समझ पाएगा?
कभी-कभी, जो भाव हम जता नहीं पाते, वही सबसे वास्तविक होते हैं।
जो दर्द जुबान तक नहीं आ पाता, वही सबसे गहरा होता है।
और जो विचार सिर्फ मन में उठते हैं और वहीं समा जाते हैं , वही जीवन की पूर्णता का संकेत होते हैं।
हर बात को साबित करना ज़रूरी नहीं।
हर भाव को जताना आवश्यक नहीं।
कभी-कभी खामोश रह जाना भी एक जवाब होता है।
इस भागदौड़ भरी दुनिया में, लोगों के पास दूसरों की भावनाओं को समझने का समय ही नहीं है।
लोग बस अपनी सुविधा, अपनी सोच और अपनी शर्तों के हिसाब से जीते हैं।
वे न तो आपके विचारों से प्रभावित होते हैं,
न ही आपकी खामोशी से।
इसलिए कभी-कभी हमें अपने मन के तूफ़ानों को अकेले ही झेलना पड़ता है - बिना किसी उम्मीद के, बिना किसी शिकायत के।
अगर आप अपना दुःख किसी से बाँटेंगे, तो लोग कुछ पल सुनेंगे,
फिर कहेंगे, “भूल जाओ, आगे बढ़ो।”
मानो भूलना कितना आसान है!
मानो किसी गहरे एहसास को एक दिन की बात समझकर भुलाया जा सकता है!
लेकिन ज़िंदगी की यही सच्चाई है -
इस दुनिया में हर एहसास की कद्र नहीं होती।
और हर इंसान उस गहराई को नहीं समझ सकता
जो किसी की आँखों के पीछे छिपी होती है।
लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि हमें महसूस करना छोड़ देना चाहिए?
नहीं।
हो सकता है कि कम ही लोग समझें,
लेकिन अपने भीतर के सच को जीना ही सबसे बड़ी ईमानदारी है। आपके मन में उठने वाले विचार आपकी आत्मा की आवाज़ हैं।
हर विचार, हर भावना, हर मौन -
आपको बेहतर बनाता है।
जो मौन में रहते हैं वे सबसे शक्तिशाली होते हैं।
इसलिए अगली बार जब आपके मन में कोई विचार उठे,
तो इस बात से न डरें कि कोई उसे समझेगा या नहीं।
उसे सहेज कर रखें।
उसे शब्दों में पिरोएँ या चुपचाप जिएँ -
लेकिन उसे खोने न दें।
क्योंकि वही विचार…
तुम हो।
— धीरेंद्र सिंह बिष्ट | लेखक : मन की हार ज़िन्दगी की जीत
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అమ్మ వోడి లో ప్రశాంతంగా నిద్ర
పోతున్నా పసి పాపలా...
షరతు లే ,లేని ప్రియురాలి ప్రేమ లాలన లో
నులివెచ్చని యద కౌగిలిలో ఒదిగిన ప్రియుడి లా,
ఈ లేత పొగ మంచు తెరల చాటున
అలుముకున్నా పచ్చని ప్రకృతి
ఒకవైపు....
ఆ దృశ్యాన్ని మరింత అద్భుతం గా
మర్చడనికి అన్నట్టు,
గాలితో నృత్యం చేస్తూ మబ్బుల అంచులనీ తాకుతూ, కీలాకిలా రవాలనే స్వరాలు గా మలిచి
కృతఙ్ఞత లు తెలుపుతూ ,
రేపనే ఆలోచనే లేక స్వేచ్ఛ గా
అల్లరి చేస్తూ కేరింతలు కొడుతున్న గువ్వలు
గోరింకలు ఒకవైపు....,
వెచ్చని నా తనువుని తాకుతూ,
వెళ్ళే ఆ చల్లని పిల్ల గాలుల చిలిపి సవ్వడులు ఒకవైపు...
ప్రపంచాన్ని మేల్కొల్పడానికీ నేనే ఉన్న అన్నట్టు ,
ఆ ధవళ వర్ణపు మంచు తెరలని చీల్చుకుంటు నేలని
తాకడానికి ప్రయత్నిస్తున్న భానుడి కిరణాలూ,
ఒకవైపు....
రెక్కడి తే గాని డొక్కడని జీవితాల నడుమ ,
బతుకు బండి ముందుకు నడిపించే పని లో
పూర్తిగా నిమగ్నమై..!
ఆస్వాదించే మనస్సు ,ఆనందించే తీరిక లేక
అంతం లేని మా ఈ ఆకలి కేకలకు సమాధానం
చెప్పేది ఎవ్వడంటూ, దేన్ని పట్టించుకోకుండ రేపటి కోసం భయపడుతూ బతుకు భారమై ముందుకు సాగిపోతున్న, ఈ కాలపు యాంత్రిక మనిషి....ఇంకోవైపు....!
మధుకర్...✍️
लेखक: मन की हार ज़िन्दगी की जीत
शीर्षक: खामोशी के सवाल
खामोशी… यह सिर्फ़ एक मौन नहीं, बल्कि मन की सबसे ऊँची आवाज़ होती है। जब बाहर सब शांत होता है, तब भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। यही खामोशी हमें हमारे सबसे गहरे विचारों से मिलवाती है — कभी सुकून देती है तो कभी बेचैनी। जब शब्द थम जाते हैं, तब सवाल उठते हैं।
मन की लहरें शांत समुद्र की तरह दिखती ज़रूर हैं, पर अंदर एक तूफान छिपा होता है। अक्सर मन में ये सवाल उठते हैं – क्या सही है, क्या ग़लत? कौन सा रास्ता चुनें, कौन सा छोड़ दें? कई बार कुछ विचारों को छोड़ देना ही समझदारी होती है, लेकिन वही विचार जब लौटकर आते हैं, तो मन और अधिक बेचैन हो उठता है।
कुछ भावनाएं हमें खींचती हैं, कुछ हमें तोड़ती हैं। पर सबसे बड़ा संघर्ष तब होता है जब हमारा ही मन हमसे बगावत करने लगे। हम वही करना चाहते हैं जो हमें प्रिय है, लेकिन मन कभी डर दिखाता है, कभी उलझनें। और जब हम उस प्रिय चीज़ से दूर हो जाते हैं, तो एक खालीपन हमें घेर लेता है।
मन का स्वभाव बड़ा ही विचित्र है — यह कभी हमें ऊँचाई तक ले जाता है, तो कभी गहराई में डुबो देता है।
शायद इसीलिए खामोशी सब कुछ कह जाती है — वो बातें, जिन्हें हम कह नहीं सकते, वो सवाल, जिन्हें हम समझ नहीं पाते।
और इस खामोशी में ही शायद हमारी असली जीत छुपी होती है — जब हम अपने ही मन से हारकर, खुद को फिर से समझना शुरू करते हैं।
- लेखक: मन की हार ज़िन्दगी की जीत
तू चला गया…
मगर तेरी यादें अब भी सीने में सांस लेती हैं…
हर धड़कन अब भी तेरा नाम लेती है…
और मैं…
मैं अब भी ज़िंदा हूँ,
बस थोड़ा कम…
---
> तेरी हँसी अब आवाज़ नहीं करती,
लेकिन कानों में गूंजती है…
तेरे बिना जो खामोशी आई है,
वो अब मेरी सबसे गहरी दोस्त बन चुकी है।
---
> तुझसे शिकायतें नहीं रहीं अब,
शायद तेरा चले जाना ही मुकद्दर था…
लेकिन एक बात बता…
जिस प्यार को तूने ठुकराया, वो आज भी तेरा इंतज़ार करता है।
---
> लोग कहते हैं, वक्त सब ठीक कर देता है…
पर मेरा वक्त तो तेरे साथ ही रुक गया था…
अब जो भी चलता है —
वो सिर्फ सांस है, ज़िंदगी नहीं।
---
> मैं तुझे भुला नहीं पाया…
और शायद…
तुझे चाहने से थक भी नहीं पाया।
---
🥀 अंतिम पंक्तियाँ:
> अगर कभी लौटना चाहे…
तो दरवाज़ा अब भी खुला है —
बस उस दिल के पास जाना होगा…
जो अब भी तेरे नाम पर धड़कता है… 💔
दिलों का ज़हर
#कलयुग
मैं ही क्यूं हर रिश्ते में दिल लगाती हूं
मैं ही क्यूं हर रिश्ते को दिल से निभाती हूं,
मैं ही क्यूं सबके लिए वक्त निकाल लाती हूं?
जब उनके लिए मैं एक याद भी नहीं हू,
तो क्यूं मैं उनके लिए दुआं बन जाती हूं?
वो साथ पढ़ती है पर साथ छोटी सी बात भी नहीं,
मैं हर पल उसे महसूस करु, वो तो सिर्फ जरूरत की तरह थी।
मुझे लगता था दोस्ती में दर्द नहीं होता,
पर अब लगता हैं.... हर रिश्ता भी रुख सा लगता हैं।
Book Name: शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट
https://www.matrubharti.com/novels/38913/shivaji-maharaj-the-greatest-by-praveen-kumrawat
छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा-नीति, अर्थशास्त्र, विदेश-नीति, वित्त, प्रबंधन— सभी क्षेत्रों में उनकी अपूर्व दूरदृष्टि थी, जिस कारण वे अपने समकालीन शासकों से सदैव आगे रहे। राष्ट्रप्रेम से अनुप्राणित उनका जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और अनुकरणीय भी।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिंदवी स्वराज’ की अवधारणा दी; अपनी अतुलनीय निर्णय-क्षमता और सूझबूझ व अविजित पराक्रम के बल पर मुगल आक्रांताओं के घमंड को चूर-चूर कर दिया; अपनी लोकोपयोगी नीतियों से जनकल्याण किया। शिवाजी महाराज की तुलना सिकंदर, सीजर, हन्नीबल, आटीला आदि शासकों से की जाती है। यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है, जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी।
നമ്മൾ അറിയാതെ നേടിയ നിധിയാണനുഭവം.
നഷ്ടങ്ങളുടെ കണ്ണീരും, നേട്ടങ്ങളുടെ ചിരിയും,
എല്ലാം ചേർന്നൊരു പുസ്തകം.
ഓരോ വീഴ്ചയും ഒരു പാഠമായി,
ഓരോ വേദനയും ഒരു വെളിച്ചമായി.
മറ്റൊരാൾക്ക് പറഞ്ഞു കൊടുക്കാനാവാത്ത,
ഹൃദയത്തിൽ മാത്രം സൂക്ഷിക്കുന്ന രഹസ്യം.
കഴിഞ്ഞുപോയ വഴികളിലെ കാൽപ്പാടുകൾ
നമ്മളെ നമ്മളാക്കിയ കഥകൾ പറയുന്നു.
വേദനകളെ ഭയപ്പെടാതെ,
ഓരോ അനുഭവത്തെയും പുഞ്ചിരിയോടെ സ്വീകരിക്കാം.
കാരണം, മുറിവുകളില്ലാതെ,
വജ്രം തിളങ്ങുകയില്ല;
അതുപോലെ, അനുഭവങ്ങളില്ലാതെ,
ജീവിതം പൂർണ്ണമാവുകയില്ല
✍️തൂലിക _തുമ്പിപ്പെണ്ണ്
Do You Know that when a person's ego is hurt, he becomes estranged and will not come close to you again?
Read more on: https://dbf.adalaj.org/gtSCKq5k
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