MAHAASHAKTI - 29 in Hindi Mythological Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | महाशक्ति - 29

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महाशक्ति - 29

महाशक्ति – एपिसोड 29

"शंका, मोह और अनहोनी का संकेत"

रात के अंधेरे में अनाया जाग रही थी। उसका दिल बहुत तेज़ धड़क रहा था। सपने में जो देखा था, वह उसे विचलित कर रहा था। अर्जुन की मौत? क्या सच में उसकी उपस्थिति उसके जीवन के लिए खतरा बन रही थी?

उसने अपने माथे पर हाथ फेरा और बिस्तर से उठकर खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई। चाँदनी रात थी, लेकिन उसे हर ओर अंधकार ही दिख रहा था।

"क्या यह सच था? क्या अर्जुन सच में खतरे में है?"

अचानक हवा में एक हल्की सरसराहट हुई, और शिवजी की मूर्ति के सामने रखे दीपक की लौ तेज़ी से काँपने लगी।

"यह कोई साधारण संकेत नहीं हो सकता…" अनाया के मन में विचार आया।


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अर्जुन का संकल्प

दूसरी ओर, अर्जुन अब भी मंदिर में बैठा था। ध्यान की स्थिति में जाने के बावजूद भी उसका मन बेचैन था।

अचानक उसे अपनी पीठ के पीछे किसी की आहट सुनाई दी।

"कौन है वहाँ?" उसने तलवार की मूठ को कसकर पकड़ लिया।

एक हल्की हंसी हवा में गूँजी।

"अर्जुन, तुम इतने व्याकुल क्यों हो?"

अर्जुन ने देखा, सामने एक साधु खड़ा था। उसकी आँखों में गहरा तेज था।

"आप कौन हैं?" अर्जुन ने पूछा।

"मैं वही जो तुम्हें सत्य दिखाने आया हूँ।"

अर्जुन कुछ कह पाता, उससे पहले ही साधु ने कहा, "तुम्हारे प्रेम की परीक्षा शुरू हो चुकी है। मोह तुम्हें भ्रम में डालेगा, लेकिन प्रेम तुम्हारा मार्गदर्शन करेगा।"

अर्जुन समझ गया कि यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं, बल्कि स्वयं भगवान शिव के संकेत थे।

"तो मैं क्या करूँ?" अर्जुन ने गंभीरता से पूछा।

"सत्य की खोज करो। स्वयं पर विश्वास रखो। और अनाया को अकेला मत छोड़ो।"

इतना कहकर साधु एक पल में गायब हो गया।

अर्जुन के मन की बेचैनी थोड़ी कम हुई, लेकिन वह जानता था कि अब उसे और भी सतर्क रहना होगा।


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वज्रकेश का नया षड्यंत्र

राक्षसों की सभा में वज्रकेश अपनी अगली योजना बना रहा था।

"अब हमें अर्जुन और अनाया के बीच शंका पैदा करनी होगी। अगर उनमें विश्वास डगमगा गया, तो उनका प्रेम भी बिखर जाएगा।"

एक राक्षस आगे बढ़ा, "स्वामी, मैं अनाया के पास जाऊँगा और उसे ऐसी सच्चाई दिखाऊँगा, जिससे वह अर्जुन से दूर जाने को मजबूर हो जाएगी।"

वज्रकेश ने सिर हिलाया, "जाओ, लेकिन याद रखना – हमें उनका मोह बढ़ाना है, ताकि वे स्वयं अपने प्रेम को छोड़ दें।"


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अनाया की दुविधा

अगली सुबह, अनाया मंदिर में गई और शिवजी के सामने बैठ गई।

"भगवान, अगर मैं अर्जुन के लिए खतरा हूँ, तो मुझे कोई संकेत दीजिए।"

अचानक, मंदिर की घंटियाँ ज़ोर से बजने लगीं। हवा तेज़ हो गई, और दीपक की लौ बुझ गई।

अनाया सिहर उठी।

"क्या यह संकेत है कि मुझे अर्जुन से दूर हो जाना चाहिए?"

लेकिन तभी, उसे किसी के पैरों की आहट सुनाई दी।

एक अजनबी साधु खड़ा था। उसकी आँखों में एक अजीब चमक थी।

"तुम्हारा प्रेम तुम्हारे प्रिय को मृत्यु की ओर धकेल देगा, अनाया। अगर तुम अर्जुन से दूर नहीं गई, तो वही होगा जो तुमने अपने स्वप्न में देखा था।"

अनाया का मन डगमगा गया।

क्या यह सच था? क्या उसे अर्जुन को छोड़ देना चाहिए?


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क्या अनाया और अर्जुन के बीच विश्वास की डोर टूट जाएगी? क्या वज्रकेश की योजना सफल होगी?

(अगले एपिसोड में जारी…!)