महाशक्ति – तीसरा अध्याय: आधी रात की आहट
रात का सन्नाटा पूरे वातावरण में घुल चुका था। आसमान में चाँद अपनी पूरी आभा के साथ चमक रहा था, लेकिन अनाया की आँखों में नींद नहीं थी। पिछले कुछ दिनों से उसे अजीब-अजीब सपने आ रहे थे। कभी वो खुद को एक विशाल पर्वत के शिखर पर खड़ा देखती, जहाँ से तेज़ रोशनी निकल रही होती। कभी-कभी उसे ऐसा लगता कि कोई अनजानी शक्ति उसे पुकार रही है।
वो समझ नहीं पा रही थी कि यह महज़ एक सपना है या कोई संकेत। लेकिन आज का सपना कुछ अलग था। उसने खुद को एक पुराने शिव मंदिर के पास खड़ा पाया, जहाँ एक अनजानी शक्ति का एहसास उसे अपनी ओर खींच रहा था। जैसे ही वह मंदिर के अंदर गई, शिवलिंग के पास रखा दीपक अपने आप जल उठा, और किसी ने धीमे स्वर में कहा—
"समय आ गया है… महाशक्ति के जागरण का।"
अनाया की आँखें खुल गईं। वह घबराई हुई थी लेकिन उसके दिल में एक अजीब-सी जिज्ञासा भी थी। क्या यह सपना ही था या सच में उसे कोई संकेत मिला था?
एक रहस्यमयी मुलाकात
उस रात, अचानक अनाया के कदम खुद-ब-खुद जंगल की तरफ बढ़ने लगे। ठंडी हवा के झोंके उसके चेहरे से टकरा रहे थे। वो समझ नहीं पा रही थी कि इस सुनसान रात में वह इस तरफ क्यों आ रही थी। पर उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थीं, जैसे कुछ बड़ा होने वाला हो।
जैसे ही उसने जंगल के किनारे बने पुराने शिव मंदिर की ओर कदम बढ़ाए, वहाँ का माहौल बिल्कुल अलग था। मंदिर सुनसान था, लेकिन वहाँ पहुँचते ही उसे लगा जैसे कोई उसे देख रहा हो। एक अनजानी ऊर्जा उसके चारों ओर घूम रही थी।
"कौन है वहाँ?" अनाया ने धीमी आवाज़ में पूछा।
अचानक, मंदिर के भीतर से किसी के कदमों की आहट आई। एक तेज़ हवा का झोंका आया, और दीये की लौ एक पल को कांप गई। अनाया ने जैसे ही पीछे मुड़कर देखा, सामने अर्जुन खड़ा था।
"तुम यहाँ?" अनाया ने आश्चर्य से पूछा।
अर्जुन हल्की मुस्कान के साथ आगे बढ़ा। "तुम ही बताओ, तुम यहाँ क्यों आई हो?"
अनाया कुछ बोल न सकी। वो खुद भी नहीं समझ पा रही थी कि इस मंदिर तक कैसे पहुँची।
"कुछ दिनों से अजीब-अजीब सपने आ रहे हैं," अनाया ने कहा, "ऐसा लग रहा है कि कोई मुझे बुला रहा है।"
अर्जुन की आँखों में एक चमक उभरी। "मुझे भी… कुछ ऐसा ही अनुभव हो रहा है। शायद ये कोई संयोग नहीं।"
शक्ति का पहला संकेत
जैसे ही उन्होंने मंदिर में कदम बढ़ाए, शिवलिंग के पास रखा दीपक अचानक तेज़ जल उठा। चारों ओर दिव्य प्रकाश फैल गया। अर्जुन और अनाया दोनों स्तब्ध रह गए।
"ये कोई साधारण स्थान नहीं है," अर्जुन ने गंभीर स्वर में कहा।
अनाया के माथे पर पसीना आ गया। उसे लगा जैसे कोई शक्ति उसके भीतर जाग रही है, लेकिन वो समझ नहीं पा रही थी कि ये क्या था।
"यह सिर्फ़ एक मंदिर नहीं है…" अर्जुन ने धीरे से कहा, "यह किसी शक्ति का केंद्र है। और शायद हमारे यहाँ आने के पीछे कोई वजह है।"
तभी मंदिर की घंटियाँ ज़ोर से बजने लगीं। हवा में अजीब-सी हलचल थी। शिवलिंग से निकलने वाली रोशनी अब और तेज़ हो चुकी थी। अनाया की आँखें इस चमक को सहन नहीं कर पा रही थीं।
अचानक, उसकी आँखों के सामने एक दृश्य उभरने लगा—
वो खुद को एक अलग समय और स्थान पर देख रही थी। एक विशाल युद्धभूमि थी, जहाँ तलवारें टकरा रही थीं, मंत्र गूंज रहे थे और एक दिव्य स्त्री योद्धा किसी शक्तिशाली दानव से युद्ध कर रही थी। उस स्त्री के हाथ में एक चमकती हुई त्रिशूल थी और उसकी आँखों में प्रचंड शक्ति थी।
और फिर, वो चेहरा साफ़ हुआ—
वो स्त्री कोई और नहीं, बल्कि अनाया खुद थी!
अनाया घबराकर पीछे हटी। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। अर्जुन ने उसे थाम लिया।
"क्या हुआ?" अर्जुन ने चिंतित होकर पूछा।
"मैंने… मैंने कुछ देखा… लेकिन वो मैं कैसे हो सकती हूँ?" अनाया की आवाज़ काँप रही थी।
अर्जुन ने गहरी साँस ली। "शायद ये हमारे पिछले जन्म की कोई याद हो। कुछ रहस्य हैं, जिन्हें हमें समझना होगा।"
एक नया सवाल
उसी समय, मंदिर की दीवार पर एक शिलालेख चमकने लगा। उसमें लिखा था—
"जब समय पूरा होगा, महाशक्ति जागेगी। और तब, दो आत्माएँ पुनः एक होंगी।"
अर्जुन और अनाया दोनों की आँखें उस लेख पर टिक गईं।
"क्या ये हमारे बारे में है?" अनाया ने धीरे से पूछा।
अर्जुन ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उसके दिल में भी वही सवाल गूंज रहा था।
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आगे क्या होगा?
क्या अर्जुन और अनाया सच में किसी दिव्य रहस्य का हिस्सा हैं? क्या यह उनके पिछले जन्म की कोई कड़ी है? और यह "महाशक्ति" क्या है, जिसकी बात शिलालेख कर रहा था?
जानने के लिए पढ़ते रहिए—महाशक्ति!