MAHAASHAKTI - 30 in Hindi Mythological Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | महाशक्ति - 30

Featured Books
  • અભિન્ન - ભાગ 6

    ભાગ ૬  સવાર થયું અને હરિનો આખો પરિવાર ગેટ પાસે ઉભેલો. રાહુલન...

  • પરંપરા કે પ્રગતિ? - 3

                           આપણે આગળ જોયું કે પ્રિયા અને તેની દાદ...

  • Old School Girl - 12

    (વર્ષા અને હું બજારમાં છીએ....)હું ત્યાથી ઉભો થઈ તેની પાછળ ગ...

  • દિલનો ધબકાર

    પ્રકાર.... માઈક્રોફિકશન           કૃતિ. ..... દિલનો ધબકાર.. ...

  • સિંગલ મધર - ભાગ 15

    "સિંગલ મધર"( ભાગ -૧૫)હાઈસ્કૂલના આચાર્યનો ફોન આવ્યા પછી કિરણન...

Categories
Share

महाशक्ति - 30

महाशक्ति – एपिसोड 30

"विश्वास का बंधन और भ्रम का जाल"

अनाया के मन में तूफान चल रहा था। उसके सामने दो रास्ते थे—या तो वह अर्जुन के प्रेम को स्वीकार कर आगे बढ़े, या फिर उसे छोड़कर चली जाए, जिससे उसकी जान बच सके।

अर्जुन ने अनाया का हाथ पकड़कर उसे रोकने की कोशिश की, "तुम यह क्या कर रही हो, अनाया? क्या तुम सच में मुझसे दूर जाना चाहती हो?"

अनाया की आँखों में आँसू छलक आए। वह कुछ कह नहीं पा रही थी।

"अगर यह तुम्हारा निर्णय है, तो ठीक है। लेकिन याद रखना, मेरा प्रेम तुमसे कभी कम नहीं होगा," अर्जुन ने कहा और पीछे हट गया।

अनाया का दिल तेज़ी से धड़क रहा था।

"क्या मैं अर्जुन को छोड़कर सही कर रही हूँ? या यह सब एक छलावा है?"


---

साधु की भविष्यवाणी और अनाया का भ्रम

साधु के शब्द उसके कानों में गूँज रहे थे—"महाशक्ति का योद्धा और उसका प्रेम… दोनों एक साथ नहीं रह सकते। अगर वे एक हुए, तो विध्वंस निश्चित है।"

अनाया ने मंदिर में प्रार्थना की, "महादेव, मुझे रास्ता दिखाइए। अगर अर्जुन ही मेरी नियति है, तो मुझे कोई संकेत दीजिए।"

तभी मंदिर के दीपक अचानक तेज़ी से जलने लगे और घंटियाँ अपने आप बज उठीं।

अनाया घबरा गई।

"क्या यह कोई संकेत है? क्या मुझे अर्जुन से अलग हो जाना चाहिए?"


---

अर्जुन की परीक्षा

अर्जुन भी परेशान था।

वह अपने गुरु के पास गया, "गुरुदेव, क्या प्रेम और कर्तव्य एक साथ नहीं चल सकते?"

गुरु ने उत्तर दिया, "असली परीक्षा यही है, अर्जुन। जो प्रेम को समझता है, वही इसे निभा सकता है। लेकिन अगर तुम्हारा प्रेम सच्चा है, तो इसे किसी के कहने पर छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता।"

अर्जुन को कुछ समझ नहीं आ रहा था।

"क्या यह प्रेम की परीक्षा है? या मेरे धैर्य की?"


---

वज्रकेश की चाल

वहीं दूसरी ओर, वज्रकेश अपनी योजना को और गहराई से बुन रहा था।

उसने अपने एक सेवक को बुलाया, "हमें अनाया के मन में भ्रम को और बढ़ाना होगा। उसे यकीन दिलाना होगा कि अर्जुन का जीवन खतरे में है।"

सेवक ने सिर झुकाया, "आपका आदेश स्पष्ट है, महाराज।"

"कल सुबह से पहले अनाया को यह यकीन हो जाना चाहिए कि अगर वह अर्जुन के साथ रही, तो वह उसे खो देगी।"


---

अनाया का कठिन निर्णय

रात को अनाया ने अकेले में सोचा, "अगर अर्जुन को कुछ हो गया, तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगी।"

सुबह होते ही, वह अर्जुन से मिलने महल पहुंची।

अर्जुन ने उसकी आँखों में देखा और पूछा, "क्या तुमने अपना निर्णय ले लिया?"

अनाया ने धीरे से सिर झुका लिया, "हाँ… मैं तुम्हें छोड़कर जा रही हूँ।"

अर्जुन के चेहरे पर दर्द उभर आया, लेकिन उसने खुद को संभाला।

"अगर यही तुम्हारी इच्छा है, तो मैं तुम्हें रोकूंगा नहीं। लेकिन याद रखना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा—चाहे तुम जहाँ भी जाओ।"

अनाया की आँखों से आँसू गिर पड़े।

क्या यह सच में उसका निर्णय था? या वह किसी भ्रम में फँस चुकी थी?


- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -



अगले एपिसोड में:

क्या वज्रकेश की चाल सफल होगी?

क्या अनाया को सच्चाई का एहसास होगा?

अर्जुन अपने प्रेम को बचाने के लिए क्या करेगा?


(जारी रहेगा...)