MAHAASHAKTI - 8 in Hindi Mythological Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | महाशक्ति - 8

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महाशक्ति - 8

महाशक्ति – आठवां अध्याय: दिव्य द्वार के उस पार

अर्जुन और अनाया के सामने एक विशाल शिवलिंग स्थापित था, जिसकी ऊर्जा पूरे वातावरण में प्रवाहित हो रही थी। गुफा के अंदर एक रहस्यमयी शांति थी, लेकिन साथ ही एक अजीब-सी चुनौती भी महसूस हो रही थी।

"यह जगह कुछ अलग लग रही है," अनाया ने धीरे से कहा।

अर्जुन ने ध्यानपूर्वक चारों ओर देखा और महसूस किया कि यह सिर्फ एक गुफा नहीं थी, बल्कि एक दिव्य कक्ष था। तभी शिवलिंग के पास लगी एक प्राचीन शिला अचानक अपने आप चमकने लगी।

दिव्य संदेश और अगली परीक्षा

शिला पर लिखे अक्षर धीरे-धीरे उभरने लगे:

"जो इस शक्ति का सच्चा अधिकारी है, उसे अपने मन, हृदय और आत्मा की परीक्षा देनी होगी। यदि तुम सफल हुए, तो शिवनील मणि की अंतिम शक्ति तुम्हें प्राप्त होगी। परंतु यदि असफल हुए, तो यह स्थान तुम्हें हमेशा के लिए कैद कर लेगा।"

यह संदेश पढ़कर अर्जुन और अनाया दोनों ही अचंभित रह गए।

"अर्जुन, यह परीक्षा हम दोनों के लिए है," अनाया ने अर्जुन का हाथ पकड़ा।

अर्जुन ने उसकी ओर देखा और सिर हिलाया। वे दोनों जानते थे कि यह आसान नहीं होगा।

पहली परीक्षा: मन की परीक्षा

गुफा अचानक बदलने लगी। अर्जुन और अनाया खुद को अपने पुराने जीवन के दृश्य में पाए। अर्जुन को अपनी पुरानी कमजोरियों और डर का सामना करना पड़ा।

"अर्जुन, क्या तुम अपने अतीत से मुक्त हो?" एक गूंजती हुई आवाज़ आई।

अर्जुन ने अपने भीतर झांका और महसूस किया कि जब तक वह अपने पुराने दुखों और असफलताओं को पकड़े रहेगा, वह आगे नहीं बढ़ सकता। उसने गहरी सांस ली और कहा—

"मैं अपने अतीत को स्वीकार करता हूँ, परंतु अब मैं उससे बंधा नहीं हूँ।"

जैसे ही उसने यह कहा, दृश्य बदल गया और वे गुफा में वापस आ गए।

दूसरी परीक्षा: हृदय की परीक्षा

अब अनाया के सामने एक चुनौती आई। उसके सामने एक दर्पण उभर आया, जिसमें उसे अपने प्रियजनों को खोने का डर दिखाई दिया।

"अनाया, क्या तुम प्रेम और मोह के बीच का अंतर समझती हो?" वही गूंजती आवाज़ फिर आई।

अनाया की आँखों में आँसू थे, लेकिन उसने खुद को संभाला और उत्तर दिया—

"प्रेम छोड़ना नहीं सिखाता, लेकिन मोह हमें जकड़ लेता है। मैं प्रेम करती हूँ, परंतु किसी बंधन में नहीं बंधूंगी।"

दर्पण टूट गया, और गुफा फिर से सामान्य हो गई।

तीसरी परीक्षा: आत्मा की परीक्षा

अब दोनों के सामने एक अंतिम चुनौती थी। शिवलिंग से एक दिव्य प्रकाश निकला और उनसे प्रश्न किया—

"क्या तुम इस शक्ति का उपयोग केवल धर्म और सत्य की रक्षा के लिए करोगे?"

अर्जुन और अनाया ने एक साथ कहा—

"हर हर महादेव! हम इसका उपयोग कभी भी स्वार्थ या अहंकार के लिए नहीं करेंगे।"

अंतिम आशीर्वाद और रहस्यमयी द्वार

जैसे ही उन्होंने यह कहा, शिवलिंग की ऊर्जा एक दिव्य आभा में बदल गई और एक रहस्यमयी द्वार खुल गया।

"अब तुम्हारी यात्रा अगले चरण में प्रवेश करेगी," एक दिव्य आवाज़ आई।

अर्जुन और अनाया ने एक-दूसरे को देखा और निडरता से उस द्वार के अंदर प्रवेश कर गए।

आगे क्या होगा? शिवनील मणि की शक्ति क्या उजागर होगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए—महाशक्ति!

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