महाशक्ति – पाँचवाँ अध्याय: शिवतत्व गुफा की खोज
अर्जुन और अनाया गुरुदेव के आश्रम से लौट चुके थे, लेकिन उनके मन में सवालों की आँधी चल रही थी।
"शिवतत्व गुफा आखिर कहाँ है?" अर्जुन ने गहरी सोच में कहा।
अनाया ने सिर हिलाया, "अगर यह इतनी महत्वपूर्ण जगह है, तो इसके बारे में कहीं तो कोई संकेत होगा।"
गाँव के बुजुर्गों से पूछने पर उन्हें पता चला कि इस गुफा का जिक्र सदियों पहले हुआ था, लेकिन अब कोई नहीं जानता कि वह कहाँ है। बस यह कहा जाता था कि यह किसी घने जंगल के अंदर छिपी हुई है।
जंगल की ओर यात्रा
अर्जुन और अनाया ने गुफा की खोज के लिए यात्रा शुरू की। उनके पास केवल गुरुदेव द्वारा दिया गया एक पुराना मानचित्र था, जिस पर faded (धुंधले) निशान बने हुए थे।
जंगल में कदम रखते ही उन्हें अहसास हुआ कि यह सफर आसान नहीं होने वाला। चारों ओर ऊँचे-ऊँचे पेड़, घनी झाड़ियाँ और रहस्यमयी सन्नाटा था।
"हमें बहुत सावधानी से आगे बढ़ना होगा," अर्जुन ने कहा।
जैसे-जैसे वे आगे बढ़ते गए, जंगल और घना होता गया। अचानक, अनाया को एक पेड़ के तने पर कुछ उकेरी हुई आकृतियाँ दिखीं।
"अर्जुन, यह देखो!" उसने उत्साहित होकर कहा।
अर्जुन ने करीब जाकर देखा। यह कुछ प्राचीन प्रतीक थे, जिनमें त्रिशूल, डमरू और एक ध्यानमग्न साधु की आकृति थी।
"शायद यही हमारा पहला संकेत है," अर्जुन ने कहा।
गुप्त मार्ग और अदृश्य शक्ति
उन चिह्नों के आधार पर वे आगे बढ़े। अचानक, हवा में कुछ अजीब सा कंपन महसूस हुआ।
"क्या तुम्हें यह महसूस हो रहा है?" अनाया ने धीरे से पूछा।
अर्जुन ने सिर हिलाया, "हाँ, ऐसा लग रहा है जैसे कोई अदृश्य शक्ति हमें यहाँ से हटने के लिए कह रही हो।"
जैसे ही वे एक विशाल चट्टान के पास पहुँचे, मानो वहाँ कोई अदृश्य दीवार थी, जिसने उनके कदम रोक दिए।
अर्जुन ने चट्टान को ध्यान से देखा और फिर गुरुदेव द्वारा बताया गया मंत्र दोहराने लगा—
"ॐ नमः शिवाय।"
अचानक, चट्टान धीरे-धीरे कंपन करने लगी और उनके सामने एक गुप्त द्वार खुल गया।
शिवतत्व गुफा का रहस्य
अर्जुन और अनाया ने गहरी साँस ली और उस गुफा के अंदर कदम रखा। अंदर का दृश्य देखकर वे दंग रह गए।
गुफा के बीचों-बीच एक प्राचीन शिवलिंग था, जिससे नीली आभा निकल रही थी। गुफा की दीवारों पर महादेव और माता पार्वती की जीवन लीलाओं के चित्र उकेरे हुए थे।
लेकिन जैसे ही उन्होंने आगे बढ़ने की कोशिश की, एक रहस्यमयी आवाज गूँजी—
"जो इस गुफा में आया है, वह बिना परीक्षा दिए आगे नहीं जा सकता!"
अर्जुन और अनाया ने एक-दूसरे की ओर देखा। अब वे एक नई चुनौती के सामने खड़े थे।
अग्नि परीक्षा की शुरुआत
गुफा के अंदर अचानक चार दिशाओं से आग की लपटें उठीं। यह कोई सामान्य आग नहीं थी, बल्कि दिव्य अग्नि थी, जो सिर्फ आत्मा की पवित्रता को पहचानती थी।
एक छायामय आकृति प्रकट हुई, जिसने अर्जुन और अनाया से कहा, "यदि तुम इस स्थान की ऊर्जा को समझना चाहते हो, तो तुम्हें तीन प्रश्नों के उत्तर देने होंगे।"
पहला प्रश्न:
"शिवतत्व का अर्थ क्या है?"
अर्जुन ने उत्तर दिया, "शिवतत्व वह ऊर्जा है जो संहार और सृजन दोनों में समान रूप से व्याप्त होती है। यह कालातीत और अनंत है।"
आकृति ने सिर हिलाया, और अग्नि की एक लपट शांत हो गई।
दूसरा प्रश्न:
"एक सच्चा भक्त कौन होता है?"
अनाया ने उत्तर दिया, "जो बिना किसी स्वार्थ के महादेव को समर्पित होता है, वही सच्चा भक्त होता है।"
एक और लपट शांत हो गई।
तीसरा प्रश्न:
"तुम इस गुफा में क्यों आए हो?"
अर्जुन और अनाया एक पल के लिए रुके, फिर अर्जुन ने कहा, "हम इस संसार में सत्य और शक्ति को समझने आए हैं, ताकि हम इसे अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए संजो कर रख सकें।"
तीसरी लपट भी शांत हो गई।
"तुम परीक्षा में सफल हुए।"
गुफा की दीवारें कंपन करने लगीं और अचानक एक नया मार्ग खुल गया।
शिवतत्व गुफा का असली रहस्य
जब अर्जुन और अनाया उस मार्ग से आगे बढ़े, तो उन्होंने देखा कि वहाँ एक विशाल जलकुंड था, जिसके बीचों-बीच एक अद्भुत रत्न चमक रहा था। यह "शिवनील मणि" थी, जिसे सदियों से छिपाकर रखा गया था।
अर्जुन ने जब उस मणि को छूने की कोशिश की, तो अचानक गुफा में एक और भयंकर आवाज गूँजी—
"इस मणि को प्राप्त करने का अधिकारी केवल वही हो सकता है, जो अपने अहंकार को पूरी तरह त्याग चुका हो।"
अब अर्जुन और अनाया के सामने एक और कठिन परीक्षा थी।
आगे क्या होगा?
क्या अर्जुन शिवनील मणि को प्राप्त कर सकेगा?
शिवनील मणि का असली रहस्य क्या है?
कौन है वह रहस्यमयी शक्ति जो इस गुफा की रक्षा कर रही है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए—महाशक्ति!