महाशक्ति – एपिसोड 28
"मोह, विश्वास और छिपा हुआ शत्रु"
रात गहरी हो चुकी थी, लेकिन अर्जुन की आँखों में नींद का नामोनिशान नहीं था। वह काशी लौट आया था, लेकिन शिवजी की चेतावनी उसके मन में गूँज रही थी। अनाया को सुरक्षित रखने की शपथ उसने ली थी, लेकिन कहीं न कहीं उसके मन में एक अजीब-सा डर भी था।
"क्या मैं सच में अपने भाग्य को बदल सकता हूँ?" उसने स्वयं से प्रश्न किया।
उसी क्षण, हल्की हवा चली और अनाया उसके सामने खड़ी थी। उसकी आँखों में चिंता झलक रही थी।
"अर्जुन, तुम्हें क्या हुआ है? तुम इतने व्याकुल क्यों लग रहे हो?" अनाया ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा।
अर्जुन ने उसकी आँखों में देखा और गहरी साँस ली, "कुछ नहीं, बस एक विचित्र स्वप्न देखा था।"
अनाया मुस्कुराई, "स्वप्न भी कभी-कभी भविष्य की झलक होते हैं। लेकिन क्या हम अपने विश्वास से अपने भविष्य को नहीं बदल सकते?"
अर्जुन उसकी इस बात पर सोच में पड़ गया।
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वज्रकेश की चाल
उधर, अंधकार में राक्षसों की सभा लगी थी। वज्रकेश अपने सैनिकों के साथ बैठा था, और उसके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान थी।
"अर्जुन और अनाया के बीच प्रेम जितना गहरा होगा, उनका मोह उतना ही प्रबल होगा। और मोह ही उन्हें दुर्बल बनाएगा।"
एक राक्षस आगे बढ़ा, "स्वामी, क्या हमें उन पर हमला करना चाहिए?"
वज्रकेश ने सिर हिलाया, "नहीं, अभी नहीं। पहले हमें उनकी आत्मा को हिलाना होगा, उनके विश्वास को तोड़ना होगा।"
फिर उसने एक और राक्षस की ओर इशारा किया, "तुम्हें अनाया के सपनों में प्रवेश करना होगा। उसे यह विश्वास दिलाना होगा कि अर्जुन से जुड़ना उसकी सबसे बड़ी भूल होगी।"
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अनाया की बेचैनी
रात के समय अनाया गहरी नींद में थी, लेकिन अचानक वह किसी भयावह सपने में खो गई।
उसने खुद को एक उजड़े हुए युद्धक्षेत्र में खड़ा पाया। चारों ओर रक्त फैला था, और अर्जुन घायल अवस्था में पड़ा था। उसकी आँखों में दर्द और निराशा थी।
"अनाया... तुमने मेरी मृत्यु को बुलाया है..." अर्जुन के होंठों से धीमी आवाज़ निकली।
अनाया ने घबराकर कदम पीछे खींचे, "नहीं... यह सच नहीं हो सकता!"
लेकिन तभी, एक रहस्यमयी परछाईं उसके सामने आई।
"यह सच है, अनाया। अर्जुन का भाग्य तुम्हारी वजह से बंधा हुआ है। अगर तुम उससे दूर नहीं हुई, तो उसका विनाश निश्चित है।"
अनाया पसीने से भीग गई और अचानक उसकी नींद खुल गई।
उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था।
"क्या यह केवल एक सपना था? या कोई सच्चाई?"
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अर्जुन की परीक्षा
अर्जुन रात में ध्यान की अवस्था में बैठा था। उसने अपने मन को शांत करने की कोशिश की, लेकिन बार-बार शिवजी की चेतावनी उसके मन में गूँज रही थी।
तभी, एक रहस्यमयी आवाज़ आई, "अर्जुन, मोह और प्रेम के बीच का अंतर समझो। प्रेम सच्चा है, लेकिन मोह तुम्हें तुम्हारे मार्ग से भटका सकता है।"
अर्जुन ने आँखें खोलीं, "क्या शिवजी चाहते हैं कि मैं अनाया से दूर हो जाऊँ?"
लेकिन तभी, उसे एहसास हुआ कि यह आवाज़ शिवजी की नहीं थी।
"कौन है वहाँ?" उसने पुकारा।
लेकिन कोई उत्तर नहीं आया।
उसने महसूस किया कि कोई अज्ञात शक्ति उसे गलत दिशा में धकेलने की कोशिश कर रही थी।
"नहीं, मैं अपनी सच्चाई खुद तय करूँगा!" अर्जुन ने अपनी तलवार उठाई और प्रण लिया कि वह किसी भी छलावे में नहीं आएगा।
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क्या अर्जुन और अनाया अपने
विश्वास को बचा पाएंगे? क्या वज्रकेश की चाल सफल होगी?
(अगले एपिसोड में जारी…!)