महाशक्ति – एपिसोड 13
भाग्य का खेल और अधमरी अनाया
युद्ध के दो दिन बीत चुके थे। देवताओं और राक्षसों की लड़ाई थम गई थी, लेकिन युद्धभूमि की धूल अभी भी हवा में थी। हर कोई अपने घावों को सहला रहा था, लेकिन अर्जुन की बेचैनी बढ़ती जा रही थी।
उस रात अर्जुन शिवजी की भविष्यवाणी के बारे में सोचते हुए अपने शिवलिंग के सामने बैठा था। मन में असंख्य विचार उमड़ रहे थे। तभी अचानक एक अजीब दृश्य उसके सामने आया—एक चिड़िया उल्टी दिशा में उड़ रही थी। अर्जुन का मन कांप उठा। "क्या यह वही संकेत है जिसकी चेतावनी महादेव ने दी थी?"
अनाया का प्रस्थान और विधि का विधान
इधर अनाया एक पहाड़ी रास्ते से होकर किसी मंदिर की ओर जा रही थी। सूरज ढल रहा था, और रास्ता सुनसान था। उसे इस रास्ते से कई बार गुजरने का अनुभव था, लेकिन आज का दिन कुछ अलग था। मन अनायास ही बेचैन हो उठा था। वह बार-बार इधर-उधर देख रही थी, जैसे कोई छिपकर उसे देख रहा हो।
तभी दूर से एक गाड़ी बहुत तेज़ गति से आती हुई दिखी। वह सड़क के किनारे खड़ी हो गई, लेकिन ड्राइवर का संतुलन बिगड़ चुका था। ब्रेक फेल हो चुके थे और गाड़ी सीधा अनाया की ओर बढ़ने लगी।
धड़ाम!
तेज़ आवाज़ के साथ गाड़ी अनाया को ज़ोरदार टक्कर मारती है, और वह सीधे पहाड़ी की खाई में गिर जाती है। नीचे घना जंगल था, जहाँ अनाया अचेत अवस्था में पड़ी थी। उसका शरीर कई जगह से लहूलुहान था, सिर से खून बह रहा था और साँसे बहुत धीमी चल रही थीं।
अर्जुन की बेचैनी और संकेत का रहस्य
अर्जुन को अचानक एक झटका सा महसूस हुआ। उसका दिल ज़ोर से धड़क उठा। "यह वही क्षण है जिसका संकेत महादेव ने दिया था!"
वह तुरंत घोड़े पर सवार होकर मंदिर की ओर बढ़ा, लेकिन जब वहाँ पहुँचा तो रास्ते में केवल टूटी हुई रेलिंग और पहाड़ी से गिरा हुआ मलबा मिला। उसने नीचे झाँककर देखा, लेकिन घना जंगल होने के कारण कुछ भी स्पष्ट नहीं दिख रहा था।
"अनाया!" अर्जुन की चीख़ जंगल में गूंज उठी।
उसके मन में अजीब-सी घबराहट होने लगी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसकी दुनिया उजड़ गई हो। अर्जुन घोड़े से उतरकर नीचे खाई की तरफ़ जाने के लिए रास्ता खोजने लगा।
अधमरी अनाया की बेहोशी और रहस्यमय उपस्थिति
उधर, खाई के नीचे अनाया की साँसे हल्की चल रही थीं। उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद हो रही थीं। तभी अचानक वहाँ एक रहस्यमयी काले कपड़े पहना व्यक्ति आता है, जो उसकी नब्ज़ टटोलता है और धीमी आवाज़ में कहता है—
"तू अभी मर नहीं सकती, तेरा भाग्य कुछ और ही लिखा गया है!"
उसके स्पर्श से अनाया की धड़कनें थोड़ी तेज़ हो जाती हैं। वह बेहोशी की हालत में ही हल्का-सा कराह उठती है। वह आदमी मुस्कुराता है और धीरे-धीरे अनाया को उठाने की कोशिश करता है।
अर्जुन की तलाश और जंगल का रहस्य
इधर, अर्जुन किसी भी हालत में अनाया को खोज निकालना चाहता था। वह रास्ते से उतरकर खाई की तरफ़ जाने के लिए पेड़ों की शाखाओं और लताओं का सहारा लेकर धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा। अंधेरे में उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन उसके दिल की धड़कनें उसे दिशा दे रही थीं।
अर्जुन को एक हल्की-सी आवाज़ सुनाई दी—यह किसी के कदमों की आहट थी। वह सावधान हो गया।
"कौन है वहाँ?" अर्जुन ने ऊँची आवाज़ में पूछा।
कोई जवाब नहीं आया। लेकिन झाड़ियों में हलचल हुई।
रहस्यमयी शख्स की चाल
खाई के नीचे वह रहस्यमयी व्यक्ति अनाया को उठाकर एक ओर ले जा रहा था। उसकी चाल में कोई जल्दी नहीं थी, मानो उसे पूरा यकीन था कि आज की रात उसके हाथों में कोई बड़ी जीत सौंपने वाली थी।
अनाया की बेहोश अवस्था में ही उसके होंठ फड़फड़ाए, मानो वह कुछ कहना चाह रही हो।
"अ... अर्जुन..."
रहस्यमयी व्यक्ति ठिठक गया। उसने गहरी नजर से अनाया को देखा और फिर मंद-मंद मुस्कुराया।
"अर्जुन...?" उसने खुद से बुदबुदाया। "चलो, देखते हैं कि अर्जुन किस हद तक तुम्हें बचाने आ सकता है।"
(जारी रहेगा...)