MAHAASHAKTI - 12 in Hindi Mythological Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | महाशक्ति - 12

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महाशक्ति - 12

महाशक्ति – 12वां अध्याय: युद्ध और भविष्यवाणी का संकेत

राक्षस और देवताओं का महायुद्ध

देवलोक और पृथ्वीलोक की सीमाओं पर एक भीषण युद्ध छिड़ चुका था। राक्षसों की सेना देवताओं पर भारी पड़ रही थी। अंधकार के बीच गूंजती तलवारों की टकराहट, अस्त्र-शस्त्रों की चमक, और रणभूमि की धूल से पूरा वातावरण कंपायमान हो रहा था।

देवताओं के सेनापति इंद्र और असुरों के राजा विरोचन आमने-सामने थे। इंद्रदेव ने वज्र चलाया, लेकिन विरोचन ने अपनी मायावी शक्ति से उसे निष्क्रिय कर दिया। इसी बीच, अर्जुन भी युद्धभूमि में मौजूद थे, अपनी सेना का नेतृत्व करते हुए। वे अपनी तलवार से राक्षसों को परास्त कर रहे थे, लेकिन उनकी नजरें किसी और को तलाश रही थीं—अनाया।

अनाया का आगमन

युद्ध के बीच, अचानक एक तेजस्वी महिला प्रकट हुई। उनके हाथों में त्रिशूल था, आँखों में अपार तेज और मुख पर अद्वितीय शांति। अनाया देवी शक्ति का रूप लिए रणभूमि में उतरीं और अपने अस्त्र से राक्षसों का संहार करने लगीं। अर्जुन ने पहली बार उसे इतने करीब से देखा।

उनका युद्ध कौशल असाधारण था। जब एक विशाल राक्षस ने इंद्रदेव पर प्रहार करना चाहा, अनाया ने आगे बढ़कर त्रिशूल का प्रहार किया और राक्षस का अंत कर दिया। अर्जुन स्तब्ध रह गए—क्या यह वही लड़की थी जिसके बारे में उन्हें शिवजी से संकेत मिला था?

शिवजी की भविष्यवाणी

युद्ध समाप्त होने के बाद, शिवजी प्रकट हुए। उन्होंने सभी को आशीर्वाद दिया और फिर अर्जुन और अनाया की ओर देखा।

"तुम दोनों के भाग्य एक-दूसरे से जुड़े हैं।" शिवजी की वाणी गूंज उठी।
"परंतु अनाया का मार्ग संकटों से भरा होगा, और अर्जुन, तुम्हें उसका रक्षक बनना होगा।"

अर्जुन और अनाया ने एक-दूसरे की ओर देखा, लेकिन कुछ कह नहीं पाए। शिवजी ने आगे कहा,
"एक संकेत आएगा, जो तुम्हें सचेत करेगा। अनाया पर एक घातक संकट आने वाला है।"

इसके बाद, शिवजी अंतर्धान हो गए, और युद्धभूमि धीरे-धीरे शांत होने लगी।

भविष्यवाणी का संकेत

युद्ध के दो दिन बाद, अर्जुन अपने महल में थे। लेकिन उनके मन में शिवजी की बात घूम रही थी। तभी उन्होंने देखा—एक चिड़िया उल्टी उड़ती हुई जा रही थी। अर्जुन का दिल तेजी से धड़कने लगा।

"क्या यह वही संकेत है जिसकी बात महादेव ने की थी?"

अर्जुन तुरंत अनाया की खोज में निकल पड़े, लेकिन वह कहीं नहीं दिख रही थी। कुछ ही पलों में, उन्हें सूचना मिली कि अनाया की गाड़ी एक खाई में गिर गई है।

अर्जुन का डर और निर्णय

अर्जुन घोड़े पर सवार होकर दुर्घटना स्थल की ओर भागे। वहां का दृश्य भयावह था—गाड़ी के टुकड़े बिखरे हुए थे, खून के धब्बे दिख रहे थे, लेकिन अनाया कहीं नहीं थी।

"क्या वह सुरक्षित है? क्या शिवजी की भविष्यवाणी सच हो गई?"

अर्जुन के मन में डर समा गया था। उन्हें अब अनाया को खोजकर सुरक्षित लाना था, क्योंकि वे समझ चुके थे—"उनका भाग्य अब एक-दूसरे से जुड़ चुका है।"

( अब आगे क्या क्या होता है. क्या अर्जुन अनाया को खोज कर लायेगा. और फिर उसको बचा पाएगी या नहीं. ये जाने के लिए पढ़ना जारी रखे महाशक्ति सीरीज. . . )

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