मैं इतनी बड़ी बन जाऊँ,
सूरज से नजरे मिलाऊँ,
जो उगता है पूरब में,
मैं इतनी बड़ी बन जाऊँ,
चंदा की तरह चमकू,
जो घिरा है सितारों से,
मैं इतनी बड़ी बन जाऊँ,
सितारों की तरह बिखरूं,
जो रखवाला है चंदा का,
मैं इतनी बड़ी बन जाऊँ,
तिरंगे की तरह लाहराऊँ,
जो शान है भारत की,
मैं इतनी बड़ी बन जाऊँ,
फूलों की तरह महकूँ,
जो मान है हर डाली की,
मैं इतनी बड़ी बन जाऊँ,
चिड़िया की तरह चहकूँ,
जो शान है प्रभात की,
मैं इतनी बड़ी बन जाऊँ,
परियों की तरह इठलाऊँ,
जिसके बिना जादू है अधूरा।।