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RACHNA ROY

RACHNA ROY Matrubharti Verified

@rachnaroy7150
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अपना घर

बेटियों का क्यों अपना घर नहीं होता।
जन्म के बाद कहा जाता है कि बेटियां पराया धन है।
आखिर क्यों?
क्या बेटियो का अपना घर नहीं होता।
सदियों से सुनते आ रहे हैं
जन्म के बाद ही बावूल का घर है
इसे छोड़ कर जाना होगा।
बड़ी होते ही ये सिखाया जाता है
तू पराई है ये घर आंगन तेरा अपना नहीं है
शादी के बाद ये सुनना होता है
पति का घर ही तेरा अपना घर है।
सब कुछ सहना है कुछ ना कहना है
चुप ही तो रहना है ये पति का घर है।
फिर कुछ सालों बाद वो एक बेटी से बहु बनती है
और फिर एक मां बन जाती है।
जीवन के उतार चढ़ाव में खुद को कहीं भूल ही जाती है।
खुद के लिए जैसे जीना नहीं है
और फिर एक बेटे को बड़ा कर देती है।
अब उसे सुनना पड़ता है बेटे का घर।
बहु भी आएंगी,ताना भी सुनना है
पर खुद तो अपनी जिंदगी दूसरों के लिए गंवा देती है
पर अब भी उसे अपना घर नहीं मिलता है
यह तो रिवाज है कि सुनना है बस की ये तो बेटे का घर है।
पुरा जीवन निकल गया पर वो बेटी तो अब बुढ़ी हो गई है
धुंधली दिखती आंखों से एक इंतजार है कि कब सुनने को मिल जाए अपना घर।

ताउम्र निकल ही गया अब कुछ
सांसें थमीं है सीने में
आंखों में आसूं भी सुख चुके हैं
क्या करूं किस-किस से पुछूं मैं कि मैं कौन हूं?
क्या है मेरा वजूद?
क्या है मेरा अस्तित्व?
क्यों आईं हुं मैं इस दुनिया में
किसी की बेटी बनकर
किसी की बहु बनकर
किसी की पत्नी बनकर
किसी की मां बनकर।
सुन लिया सब कुछ,सह लिया
अब सिर्फ एक ही आसरा है
कोई तो बोल देता जाते वक्त
मरते मरते सुन पाती
कि बेटियां का अपना घर होता है।
हां बेटियां का अपना घर होता है।
समाप्त।

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थोड़ा सा खुद के लिए भी छुप छुप कर जी लिया करो।
क्योंकि कोई नहीं कहेगा कि आराम कर लो।

hi everyone

good evening friends

good morning friends

लिखा तो बहुत सब पर
अब बस तुमको लिखना चाहती हुं
जो कभी खत्म ना हो
ऐसी अब एक कहानी लिखना चाहती हूं।
- RACHNA ROY

शुभ रात्रि मित्रो

लफ़्ज़ों में बेरुख़ी दिल में
मलाल रहने दो
हमसे मुत्तालिक वो तल्ख़
ख़्याल रहने दो
बांकी जो बचे हैं वो
दिन भी गुजर जाएँगे
उलझे हुए सब वक्त के हैं
सवाल रहने दो
बेतक़ल्लुफ है आज
हमसे हरेक ग़म तेरा
अब किस बात पे उठे
नए बवाल रहने दो
कुछ भी नहीं है बदला

वक्त के निज़ाम का
फिर तुम ही क्यों बदलो
बहरहाल रहने दो
अब उम्र ही कितनी बची है
कैदे हयात की
रंजिशें गर दिल में है तो
इस साल रहने दो
कुछ दिन इन आँखों में
समन्दर बसर पाए
कुछ दिन इन जख़्मों को
खुशहाल रहने दो
यूँ ही उदास होके
गुमसुम से मत खड़े रहो
आईने के मुकाबिल
जलवे जमाल रहने दो..!!

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