वो बंदे भी देवी मां के चरणों में शीश झुकाते हैं,
जो स्त्री को पैर की जूती समझते हैं।
मंदिरों में मां को खुश करने में लगे हैं वो लोग
जो खुद की मां को अनाथाश्रम में आए है छोड़।
वो भी माता की मूर्ति के सोलह श्रृंगार करते हैं
जो राह चलती लड़की के कपड़े उतार कर फेंक देते हैं।
क्या फायदा जो जय माता दी बोलते हो तुम,
जब बात बात में मां बहन की गाली देते हो तुम।
कुछ गलत लिखा हैं तो माफ करना माता रानी,,
परंतु यही है आज के समाज की सच्चाई।
नारी को जो दे इज्जत और सम्मान ,
हे देवी मां करना उसकी रक्षा तुम।।