✧ संस्करण 1
🌱
काम बीज है,
कर्म उसका फल।
इच्छा बंधन है,
वासना अधूरी छाया।
सेक्स शरीर का संगम है —
और इनका भ्रम ही जीवन की सबसे बड़ी उलझन।
👉 (अंश: ✧ काम–कर्म–इच्छा–वासना ✧)
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✧ संस्करण 2
🔥
काम = शुरुआत।
कर्म = गति।
इच्छा = फल की भूख।
वासना = अधूरी प्यास।
सेक्स = स्थूल मिलन।
जिन्हें लोग एक समझ बैठे, वही सबसे गहरी भूल है।
👉 (अंश: ✧ काम–कर्म–इच्छा–वासना ✧)
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✧ संस्करण 3
💭
काम है बीज, कर्म है वृक्ष।
इच्छा है फल की आस, वासना है जड़ता।
सेक्स है संगम की देह-धारा।
जब तक भेद न समझो, धर्म और मोक्ष दोनों धुंधले रहेंगे।
👉 (अंश: ✧ काम–कर्म–इच्छा–वासना ✧)
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✧ संस्करण 4
⚡
काम बिना कर्म नहीं।
कर्म बिना इच्छा अधूरा।
इच्छा जब रुक जाए तो वासना।
और सेक्स, वही काम ऊर्जा का स्थूल रूप।
ये पाँच पड़ाव अलग हैं — इन्हें गड्डमड्ड करना ही जीवन का भ्रम है।
👉 (अंश: ✧ काम–कर्म–इच्छा–वासना ✧)