पत्नी ने कभी किसी का प्रेमी नहीं छीना,
वह तो खुद बंध गई समाज और रिश्तों की ज़ंजीरों में।
प्रेमिका कहती है — उसने मेरा प्रेम छीन लिया,
पर सच तो यह है — छीनने वाला वही पुरुष है,
जो दो नावों पर सवारी करता है।
सिंगल लड़कियों से पूछो,
उनका पति कौन चुरा ले गया?
किसने रोक दिया उनके हिस्से का प्रेम?
उत्तर वही होगा —
या तो समाज ने,
या उस पुरुष की स्वार्थी चाह ने।
ना पत्नी चुराती है,
ना प्रेमिका हारती है,
हारता है सिर्फ़ प्रेम...
जब रिश्तों में सच्चाई और ईमानदारी नहीं होती।"**
प्रेमिका से सवाल सच-सच बताना
मुझे तो यह कंपेयर और तुलना करना मूर्खता लगता है