मेरी माँ
मेरी आँखें भरे उससे पहले मेरा दर्द जान जाती है
मिलों दूर बैठा रहूं ,
फिर भी मेरा आहट पहचान जाती है .....
लाख बहाने बना लूं ,वो उन सब को समझ जाती है,
मेरी माँ मेरा मन पढ़ना जानती है।
मुझ पे जीवन कुर्बान करने वाली,
नौ मास तक अपने रक्त से सिंचने वाली,
मेरे हर चोट पर ममता की मरहम मलने वाली
मेरी माँ.......
मै शब्द लिखूं तो वो माँ बन जाए,
मैं शब्द बोलूं तो माँ तेरा नाम मुख पे आए,
तेरे होने से वजूद है मेरा ,
तेरे चेहरे की मुस्कान के लिए .....
ऐसे लाखों जीवन कुर्बान हो जाए।।
रितिक......