ज़िन्दगी के सफर में, थोड़ा ठहर कर तो देखो,
हर लम्हे की खूबसूरती को महसूस करके तो देखो।
भीड़ में भी तन्हाई का एक सुकून मिलता है,
अपने आप से कभी मुलाकात करके तो देखो।
दुनिया की दौड़ में क्या खोया क्या पाया,
अपने दिल से ज़रा ये सवाल करके तो देखो।
ग़मों की शाम ढलेगी, खुशियों का सवेरा आएगा,
बस एक नई सुबह का इंतज़ार करके तो देखो।
लोग क्या कहेंगे, इस फ़िक्र को छोड़ दो,
अपनी ख्वाहिशों की उड़ान भर कर तोे देखो।
ये ज़िंदगी एक खुली किताब है, दोस्त,
इसमें एक नई कहानी लिख कर तो देखो।