"मैं खुद में ही काफी हूँ"
ना किसी सहारे की ज़रूरत है मुझे,
अपने हौंसलों के सहारे चलती हूँ मैं।
जो भी रास्ता चुना है, खुद बनाया है,
मुसीबतों से हर रोज़ टकराई हूँ मैं।
औरों की छांव क्यों लूं अपने सर पर,
मैं खुद ही अपनी छाया बनती हूँ मैं।
कभी गिरूं, तो खुद ही उठ जाऊं,
क्योंकि दूसरों से नहीं — खुद से जुड़ती हूँ मैं। 🌿
मैं खुद में ही काफी हूँ, खुद की ताक़त हूँ,
हर हार में भी छुपी एक जीत की इबादत हूँ।