उसकी राहों में कांटे जो देखें तो मैंने खुद को बिछाया राहों में।
मंजिल पर जब वो पहुंचे तो समाएं किसी और की बाहों में।
उसके आंखों में आसूं जो देखें तो मैंने खुद के गम को भुला दिया।
जब बारी उनकी आई तो उन्होंने हम को भुला दिया।
✍️ रामजी दौदेरिया
लेखक कवि