थोडा सा सूकुन पाने के लीए
मौन हो गए...
कुछ ख्वाहिश जगी दील में पर दबाके
रेह गए...
आसपास मीले ऐसे किरदार कि हम दर्द सेहते
रेह गए...
जीसको अपना समझा वही गैर बनके
रेह गए...
बस इतना जाना हमने कोई अपना नही
यहां,
ओर हम बस अपनो कि तलाश में बैगेरत बन के
रह गए।
shital ⚘️