राजस्थान के थार का निवासी हूँ या कहू पश्चिम राजस्थान का, और मेरे लिए यहाँ का जीवन सिर्फ एक दिनचर्या नहीं, बल्कि एक गहरी अनुभूति है – रेत के हर कण में इतिहास की गूंज, संस्कृति की महक और संघर्ष की चमक बसती है। बचपन से ही मैंने तेज धूप, गर्म हवाओं और सीमित पानी के बीच जीना सीखा है। पर इसी में मैंने अपनापन, सादगी और आत्मबल भी पाया है।
यहाँ का जीवन कठिन जरूर है, लेकिन इसमें जो मिठास है, वह कहीं और नहीं। सुबह की ठंडी हवा में ऊँटों की घंटियों की आवाज, खेतों में मेहनत करते किसान, और घरों से आती रोटियों की महक – यह सब मिलकर एक खास वातावरण बनाते हैं। यहाँ के लोग मेहनती हैं, सीधे हैं, और दिल से जुड़े होते हैं।
पश्चिम राजस्थान की संस्कृति हमारी सबसे बड़ी ताकत है। चाहे वो रंग-बिरंगे कपड़े हों, मारवाड़ी बोली, या लोकगीतों की मधुर धुन – ये सब मिलकर हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। घरों में माँ के बनाए बाटी-चूरमे का स्वाद, और दादी-नानी की कहानियाँ, मेरी जिंदगी का अमूल्य हिस्सा हैं।
यहाँ जीवन सिर्फ जीवित रहने का नाम नहीं, बल्कि हर परिस्थिति में खुश रहने और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने की कला है। रेत के बीच भी उम्मीद की हरियाली उगाई जा सकती है – यह मैंने यहीं सीखा है।
मुझे गर्व है कि मैं राजस्थान के भार मरुस्थल से हूँ – जहाँ जीवन एक परीक्षा है, लेकिन हर दिन इसे पास करने का हौसला हमारे भीतर होता है।