मैं और मेरे अह्सास
प्रकृति की अद्भुत अद्वितीय कलाकारी का
लुफ़्त उठाना चाहिए l
कुदरत के हसीन रंगीन नजारे को देखके
सिर झुकाना चाहिए ll
कलकल बहता झरना, बहती नदियाँ ओ
उफनता समन्दर फेला l
प्रकृति की न्यारी अनोखी लीला की तरह
जीवन बिताना चाहिए ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह