वो मेरी एक ऐसी सखी थी जो मुझसे एक बार मिलने के बाद भी साथ थी और अपनी आखिरी सांस तक उसने दोस्ती निभाई।जब मैंने अपनी जिंदगी के सबसेकीमती ...बेशकीमती शख्स को खोया तब मुझसे लगभग सारे ही रिश्ते छुट गए थे कुछ बचे थे जिन्होंने उस मुश्किल वक्त में साथ दिया था उसमें से वो एक थी...उसने मेरे मुश्किल वक्त में मेरा साथ नहीं छोड़ा था इसलिए भी वो कुछ खास थी ।
कुछ दिन बीत गए इस बात को...फिर एक ऐसी बदनसीब सी सुबह आई...जब किसी ने मुझे उसके जाने की खबर दी... मैं चाहती थी कि वो कोई गंदा सा मजाक हो।मेरे लिए ये मान पाना अविश्वनीय सा था।उन भावों को शब्दों में व्यक्त करना मेरे लिए बहुत मुश्किल है जो उस क्षण मेरे जेहन में थे। मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या करूं कैसे पता करू किससे बात करूं क्योंकि मेरे पास उसके सिवा उसके किसी परिवारजन के नंबर नहीं थे।मुझे लगा था मैं जिंदगी भर इन्हीं नंबर पर फोन कर बात कर लिया करूंगी। कुछ समझ नहीं आया तो मैंने उसी नंबर पर फोन किया... कॉलरट्यून वो ही थी जो हमेशा से उसके फोन में लगी थी।दिल में एक आस जगी...चित्त थोड़ा शांत हुआ मुझे यकीन था कि वो फोन उठाएगी और मुझसे कहेगी कि अच्छा अब याद आई तुझे मेरी...हां ऐसे किया जाता है फोन...जैसे आज किया न वैसे ही रोज फोन किया कर और मैं उसे बताऊंगी कि देख न यार किसी ने कितना गंदा मजाक किया है मेरे साथ..तू ठीक है न अब...पर उम्मीदों से परे दूसरी तरफ किसी आदमी की आवाज थी...जो मुझसे कह रही थी कि राधिका अब इस दुनिया में नहीं है💔