*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*हठधर्मी,हेमंत,त्याग,साधना,समाज*
हठधर्मी का शून्य है, शिक्षा ज्ञान विवेक।
अपनी केवल सोच को, सदा बताता नेक।।
ऋतु आई हेमंत की, देती शुभ संकेत।
प्रिये चलो अब गाँव में, सजे फूल के खेत।।
त्याग तपस्या से बनें , सुंदर घर परिवेश।
अहं भाव को त्याग दें, दूर हटेंगे क्लेश।।
आदर्शों की साधना, बड़ा कठिन है काम।
तभी सफल हो कामना, जग में उसका नाम।।
मानवता को ध्यान रख, हो समाज निर्माण ।
विपदा कभी न छा सके, मिले दुखों से त्राण।।
मनोज कुमार शुक्ल "मनोज"