सुप्रभात जी, भाग - 1
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जय जय माता शारदे, नमन करे हम बाल।
बुद्धि मान हमको बना, रचना लिखे  कमाल।। 
कण कण में हैं हरि बसे, हरि हरि हैं हर ओर। 
हरदम हम हरि को भजे, जब भी होती भोर।। 
मात  , पिता , भ्राता  सदा, रहे  हमारे  साथ। 
कोई भी मुश्किल पड़े, छूटे  न  कभी  हाथ।। 
उमा वैष्णव 
मौलिक और स्वरचित