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Uma Vaishnav

Uma Vaishnav Matrubharti Verified

@umavaishnav8926
(341)

जिसके साथ भोलेनाथ हो,
वो कभी भी नहीं अनाथ हो।
- Uma Vaishnav

अंधेरा हमें तब तक भटकाता है, जब हम उसे हावी होने देते हैं.. लेकिन जिस दिन रोशनी की तरफ मूड गए।
उस के बाद ये अंधेरा हमारा पथ रोक नहीं पाएगा।

-Uma Vaishnav

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🙏जय मां शारदे 🙏
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सुप्रभात जी,
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हे माता जी, ज्ञान दो, तम का कर दो अंत ।
विद्या देवी शारदे, दे दो ज्ञान अनंत ।।

विद्या देवी शारदे , रखते तेरी आस।
जीवन भर कायम रहे,तुम पर ये विश्वास।।

मात चरण में नमन कर, कर लो माँ को याद।
बाकी सारे काम नित , करना इसके बाद

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

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🙏जय मां शारदे 🙏
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सुप्रभात जी🌹🙏😊
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चरणों में वंदन करूँ, हंसवाहिनी मात ।
विद्या ज्ञान सबको मिले ,करे ज्ञान की बात।

जग जागा अब जागजा, देख हुई है भोर।
मंद मंद चलती हवा, चले कार्य की ओर।।

भोर भजन करना सदा, लेना प्रभु का नाम।
हर मुश्किल आसान हो, पूरे हो सब काम ।।

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

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सुप्रभात जी, भाग - 1
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जय जय माता शारदे, नमन करे हम बाल।
बुद्धि मान हमको बना, रचना लिखे कमाल।।

कण कण में हैं हरि बसे, हरि हरि हैं हर ओर।
हरदम हम हरि को भजे, जब भी होती भोर।।

मात , पिता , भ्राता सदा, रहे हमारे साथ।
कोई भी मुश्किल पड़े, छूटे न कभी हाथ।।

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

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रामायण भाग - 38
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राम - रावन की तैयारी (दोहा - छंद)
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एक एक करके सभी, पहुँचे अपने धाम।
रावन ही बस रह गया, अब योद्धा के नाम।।

दुर्गा पूजन तब किया , नौ दिन औ नौ रात।
विनती करते कह रहा, मात बनाओ बात।।

शिव का पूजन भी किया, जपा देव का नाम।
भोले बाबा से कहे, नाथ बना दो काम।।

लंका सारी जानती, जानते साधु संत ।
लंका में कुछ ना बचा, रावन का हैं अंत।।

अस्त्र शस्त्र लेकर हुआ , लड़ने को तैयार।
मौत खड़ी सर पर बचे, जीवन के दिन चार।।

उमा वैष्णव
मौलिक और स्वरचित

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रामायण भाग - 35
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नाग पाश से छुटकारा (दोहा - छंद)
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नाग पाश की शक्ति का,कुछ तो होगा काट।
होती प्रभु के हाथ में, सबकी रेख ललाट ।।

इसका क्या उपचार हैं, पूछे वानर राज।
कौन बनाए अब कहो, बिगड़े अपने काज।।

महावीर ने तब कहा, सुनलो वानर राज।
गुरुड राज ही अब करे, पूरे सारे काज।।

गुरुड राज आए तभी, करने अपना काम।
प्रभु जी चेतन हो गए, जगे लखन सुखधाम।।

सारी सेना खुश हुई, करते जय जयकार।
राम लखन की जय सभी , बोलो बारंबार।।

Uma vaishnav
मौलिक और स्वरचित

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रामायण भाग - 34
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नाग - पाश (दोहा - छंद)
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इंद्रजीत चल पड़ा , लेने को प्रतिशोध।
प्रभो राम की शक्ति का,उसे नहीं था बोध।।

आसमान में रथ लिया, चला असुर अब चाल।
राम लखन बोले कहा , आया तेरा काल।।

शक्ति चला के कर दिया, उसने अपना काम।
नाग पाश की शक्ति से, बंधे लक्ष्मण राम।।

सब सेना में मच गया, खूब तब कोहराम।
वानर व्याकुल हो गए, मूर्छित लक्ष्मण राम।।

Uma Vaishnav
मौलिक और स्वरचित

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