कॉलेज में से एक प्रोजेक्ट बनाने के लिए छात्रों को स्वर्णापुर नाम के एक गांव में ले जाया जा रहा था। छात्रों की बस जंगल में से गुजर रही थी। पूनम की रात थी। आकाश में सोलह कलाओं से खीला हुआ चाँद अपनी रोशनी बिखेर रहा था। बस में कोई दोस्तों या सहेलियों से मस्ती कर रहा था, तो कोई गीत गा रहा था। स्नेहा नाम की एक लड़की बस में अपनी सहेलियों से बातें कर रही थी और उसके सामने की सीट पर बैठे हुए एक रवि नाम के लड़के को देख रहीं थीं। कान में हेडफोन लगा के म्युजिक सुनते हुए रवि भी स्नेहा को देख रहा था। अचानक ही बस बंद हो गई। सब छात्र बस से नीचे उतर गये। जब ड्राइवर ने चेक किया तो बस में कोई भी प्रोब्लेम नहीं थी। प्रोफ़ेसर शिवने सब को वापस बस में बैठने को कहा। सब छात्र बस में बैठ गये। स्नेहा अपनी सहेलियों से बातें कर रही थी तब उसे ऐसा लगा कि अचानक ही बस की बहार कुछ बहुत तेजी से गुजर रहा था। स्नेहा बस की खिड़की से बाहर देखती है। बहार कुछ भी नहीं था। स्नेहा अपना वहेम है ऐसा मान के वो फिर से अपनी सहेलियों से बातें करने लगती है। थोड़ी देर बाद बहार से कुछ डरावनी आवाज आई, स्नेहाने जब खिड़की से बाहर देखा तो उसकी आंखें खुली की खुली रह गई।.............
स्नेहाने बस की बहार क्या देखा होगा ? जानने के लिए पढ़िए... रात
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