कुछ इसतरह उनसे मुलाकात हुई !
पहेले बिजली कड़की, फिर बरसात हुई.
भीगी सारी में वोह महेंकसी उठी,
दिल फिसला, फिर नजदीकियां बढ़ी !
पानी पानी हो गया उसकी अगन में,
शर्म केसी ? किससे ? कौन यहां था अब होश में.
लिपटी रेहना यूंही तुम सांसों से मेरी,
निकल ना जाए रात, करदे खत्म होंठोंकी दूरी !
क़यामत सी, ये जो कातिलाना रात थी,
चमकती बिजलियां, सिर्फ इकलौती गवाह थी!
मिलन लाड, वलसाड, किल्ला पारडी.
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