""मौसम"।वसन्त को कर अलविदा,महका ये आसमां,ग्रीष्म हुआ ऋतुराज,तपिश को बाहों में ले,......।संतरी हुआ गुलमोहर,अंबिया मस्त महकी, बौरो की झीनी छाँव में,मतवारी कोयल कुहकी,......।चीड़ ,बबूल इतराए,जंगल की सूखी जमी पे,भंवरा हुआ दीवाना,महुएं की गमक से,.....।छटाक् बूंद बरखा के,नभ हुआ मस्ताना,कानन हुआ मदहोश,मिट्टी के सोंधे पन से .......।