kabhi kabhi जिंदगी ruk सी जाती है बार बार पिछली यादों में ले जाती है और वक्त इतना गहरा होता है कि उसका पार दिखाई नहीं देता.....तब बस एक ही सहारा बचता है.....वो है हम खुद....क्योंकि शायद हमारा कुछ हिस्सा अब तक उस वक्त में ही है ...जरूरत है उसे सिखाने की ...उस हिस्से को उलझा कर रखने की ...किसी हुनर में ...किसी खोज में या फिर किसी अपने की बातों में ...मुस्कुराने की वजह शायद न मिलेगी पर.... काम के साथ बिताया हुआ वक्त याद दिलाएगा k tum अकेले अधूरे नहीं हो