*बाल दिवस ~मेरा बीता हुआ बचपन............"चार चबन्नी" वाला था ...*
*नोटों की ख़ुशबू से कोसों दूर ,सिक्को की खनखनाहट वाला ...-*
मिट्टी के खिलौनों की चाहत रखने वाला...
गुलाबी फ्रॉक में सिमट जाने वाला...
कुछ टोफ़ियों के लिए कविता सुनाने वाला...
भूत की कहानियाँ सुनाने की ज़िद करने वाला...
पापा की साइकिल पर बाजार घूमने वाला...
मम्मी से दूर कभी ना सो पाने वाला...
रिश्तेदारों के आने पर नाश्ते की प्लेटों को एक टक देखने वाला ...
स्कूल में बहाने बनाकर घर लौट आने वाला...
पक्की और कच्ची सहेलियों की गिनती रखने वाला ...
पैसे लेने के लिए बाबा की खिड़की पर लटकने वाला...
पापा के आते ही चप्पल छोड़ भागने वाला...
कोई डाँट दे तो घर के किसी कोने में छिप जाने वाला ...
होमवर्क के पन्ने फ़ाड़ देने वाला...
जो भी था ...जैसा भी था ...आज भी महसूस करने से मन सुकून से भर जाता है ...
ये सुकून सालों बाद आज को सोचकर कभी नहीं आएगा ...
मलाल होगा हर खता पर...
हर फैसले पर
और हर उस रिश्ते पर
जिसने बचपन वाली मासूमियत छीनकर बड़ा बना दिया ...
*💐बाल दिवस की शुभकामनाएं...*