अब किसी से दिल लगाने का दिल नहीं करता,
हर हँसी में अब दर्द नज़र आता है।
वो वादे, वो कसमें सब मिट गए जैसे,
अब किसी पर भरोसा भी नहीं हो पाता है...
झूठी मोहब्बत रुलाती बहुत है,
हर याद में चुभन सी रह जाती है।
दिल तो अब भी चाहत से धड़कता है,
पर मोहब्बत के नाम से डर जाता है…
कभी जो सपने सजाए थे आँखों में,
अब वही धुंध में खो जाते हैं,
दिल थक चुका है अब किसी का होने से
क्योंकि सच्चे लोग झूठों में दब जाते हैं...
- M K