लोहे का सिना है ,
शेरोवाली चाल है जिसकी
वही सरदार हमारे है।
जब जब उसका शब्द गुन्जा है,
तब तब एक एक जन एक बना है,
बनाया शिल्प जिसने भारत का
वही सरदार हमारे है।
डरको भी जिससे डर लगता था,
डरपोक भी उनका नाम लेकर निडर होते थे,
वही सरदार हमारे है।
उनकी शान मे शान है हमारी,
जिनकी पहचान मे पहचान,
टूटे टुकडो को जोडता गया
नयी पहचान देता गया।
वही सरदार हमारे है।
सिखाता चला स्वाभीमान ,
जो जुके सरको भी उठाया है,
देशकी शान मे मरना अभिमान समजा।
वही सरदार हमारे है।
सरदार वल्लभभाई पटेल को कोटी कोटी वंदन ।।